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Hindi - Mahabharat : Ek Darshan

Hindi - Mahabharat : Ek Darshan
महाभारत केवल रत्नों की ही खान नहीं है, असंख्य प्रश्नों की भी खान है। इस महाग्रंथ की कई घटनाएँ और कई कथानक सामान्य पाठक को ही नहीं, अध्ययनशील सुधीजनों को भी ‘यह ऐसा क्यों’ जैसे प्रश्न के साथ उलझा देते हैं। ऐसे अनेक प्रश्न/जिज्ञासाएँ चुनकर इस पुस्तक में संकलित की गई हैं और यथासंभव शुद्ध मन-भावना के साथ उनके निदान/ समाधान का प्रयास किया गया है। इस चर्चा का प्रधान केंद्र वर्तमान संदर्भ रहा है, यह इस ग्रंथ की विशेषता है। वैसे तो महाभारत की अन्य वैश्विक धर्मग्रंथों के साथ तुलना नहीं कर सकते, क्योंकि महाभारत किसी विशेष धर्म का ग्रंथ नहीं है। महाभारत मानव व्यवहार का शाश्वत ग्रंथ है और सच कहा जाए तो विश्व के सभी धर्मों का निचोड़ है। धर्मसंकट का व्यावहारिक हल सुझाते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘‘हे अर्जुन, धर्म और सत्य का पालन उत्तम है, किंतु इस तत्त्व के आचरण का यथार्थ स्वरूप जानना अत्यंत कठिन है।’’ सत्य-असत्य, धर्म-अधर्म, जीवन-मृत्यु, पाप-पुण्य, इत्यादि द्वंद्वों को कथानकों और घटनाओं के माध्यम से इस ग्रंथ में निर्दिष्ट किया गया है। महाभारत के वैशिष्ट्य और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उसकी प्रासंगिकता तथा व्यावहारिकता पर प्रकाश डालती पठनीय पुस्तक।विषय सूचीदर्शन की दिशा — Pgs. 71. मानव व्यवहार का शाश्वत धर्म  — Pgs. 112. नर, नरोत्तम, नारायण — Pgs. 163. अर्जुन की आत्महत्या और युधिष्ठिर का वध — Pgs. 224. ब्रह्मास्त्रवाले अश्वत्थामाओं के बीच खोजसंयमी अर्जुनों की! — Pgs. 275. तुलसी पौधे और सुगंध — Pgs. 326. नकारात्मक तत्त्वों की दारुण पराजय — Pgs. 377. महाभारत के पात्र अर्थात् कामव्यवस्था का ऊर्ध्वीकरण — Pgs. 478. व्यापक धर्म का अनुसरण — Pgs. 579. त्याग का स्थान सर्वोपरि — Pgs. 6710. पूर्णत्व की अनुभूति — Pgs. 7211. मनुष्य की विनाशक निर्बलता — Pgs. 7712. भीष्म पितामह का असंगत ताटस्थ्य — Pgs. 8213. मृत्यु मीमांसा — Pgs. 9114. अतिरेक का अस्वीकार — Pgs. 9715. आर्येतर स्त्रियों का विवाह-बंधन  — Pgs. 10616. शास्त्रों की उपेक्षा करे, वह शूद्र — Pgs. 11517. सत्य से बेहतर असत्य  — Pgs. 12118. दृश्य-अदृश्य के खेल — Pgs. 12719. आसक्ति का अंत नहीं और जीवन अनंत नहीं — Pgs. 13820. संबंध के शिखर से होता संवाद — Pgs. 14421. शासक सगर्भा नारी है — Pgs. 15022. प्रजा ही राजा का प्राण है — Pgs. 15623. संस्कृति का सर्जन कल्पना-कथाओं से नहीं होता — Pgs. 160 

Hindi - Mahabharat : Ek Darshan

Mahabharat : Ek Darshan - by - Prabhat Prakashan

Mahabharat : Ek Darshan - महाभारत केवल रत्नों की ही खान नहीं है, असंख्य प्रश्नों की भी खान है। इस महाग्रंथ की कई घटनाएँ और कई कथानक सामान्य पाठक को ही नहीं, अध्ययनशील सुधीजनों को भी ‘यह ऐसा क्यों’ जैसे प्रश्न के साथ उलझा देते हैं। ऐसे अनेक प्रश्न/जिज्ञासाएँ चुनकर इस पुस्तक में संकलित की गई हैं और यथासंभव शुद्ध मन-भावना के साथ उनके निदान/ समाधान का प्रयास किया गया है। इस चर्चा का प्रधान केंद्र वर्तमान संदर्भ रहा है, यह इस ग्रंथ की विशेषता है। वैसे तो महाभारत की अन्य वैश्विक धर्मग्रंथों के साथ तुलना नहीं कर सकते, क्योंकि महाभारत किसी विशेष धर्म का ग्रंथ नहीं है। महाभारत मानव व्यवहार का शाश्वत ग्रंथ है और सच कहा जाए तो विश्व के सभी धर्मों का निचोड़ है। धर्मसंकट का व्यावहारिक हल सुझाते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘‘हे अर्जुन, धर्म और सत्य का पालन उत्तम है, किंतु इस तत्त्व के आचरण का यथार्थ स्वरूप जानना अत्यंत कठिन है।’’ सत्य-असत्य, धर्म-अधर्म, जीवन-मृत्यु, पाप-पुण्य, इत्यादि द्वंद्वों को कथानकों और घटनाओं के माध्यम से इस ग्रंथ में निर्दिष्ट किया गया है। महाभारत के वैशिष्ट्य और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उसकी प्रासंगिकता तथा व्यावहारिकता पर प्रकाश डालती पठनीय पुस्तक।विषय सूचीदर्शन की दिशा — Pgs.

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  • Stock: 10
  • Model: PP241
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP241
  • ISBN: 9789384343576
  • ISBN: 9789384343576
  • Total Pages: 168
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: HINDI
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2020
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00