Literary Criticism - Vishva Kavi Ravindranath
‘आमि ढालिबो करुणा-धाराआमि भांगिबो पाषाण-काराआमि जगत् प्लाबिया बेड़ाबो गहियाआकुल पागोल पारा’।(मैं बहाऊँगा करुणा-धारामैं तोड़ूँगा पाषाण-कारामैं संसार को प्लावित कर घूमूँगा गाता हुआव्याकुल पागल की तरह)।—रवीन्द्रनाथ करुणाधारा से प्लावित वह विशाल साहित्य जिसके सृजनकर्ता थे रवीन्द्रनाथ, ‘रवीन्द्र-साहित्य’ के नाम से विख्यात है और आज भी मनुष्य के हर विषम परिस्थिति में उसे सटीक पथ की दिशा देता है, निरन्तर कठिनाइयों से जूझते रहने की प्रेरणा देता है, मनुष्यत्व के लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की इच्छा को बलवती बनाता है। ‘रवीन्द्र-साहित्य’ सागर में एक बार जो अवगाहन करता है, वह बहता ही जाता है, डूबता ही जाता है, पर किनारा नहीं मिलता—ऐसा विराट-विशाल जलधि है वह। —इसी पुस्तक से
Literary Criticism - Vishva Kavi Ravindranath
Vishva Kavi Ravindranath - by - Rajkamal Prakashan
Vishva Kavi Ravindranath -
- Stock: 10
- Model: RKP75
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP75
- ISBN: 0
- Total Pages: 112p
- Edition: 2019, 1st Ed.
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2019
₹ 395.00
Ex Tax: ₹ 395.00