Literary Criticism - Shabd Aur Deshkal
कवि और चिन्तक के रूप में कुँवर नारायण का हस्तक्षेप हिन्दी साहित्य में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। वस्तुतः वे कविर्मनीषी के रूप में सर्वसमादृत हैं।‘शब्द और देशकाल’ पुस्तक कुँवर नारायण की विचार-सम्पदा का एक अनूठा उदाहरण है। इसमें विभिन्न विशिष्ट अवसरों पर दिए गए उनके व्याख्यानों के साथ कुछ लेख भी उपस्थित हैं। भाषा, साहित्य, समाज, मीडिया, अनुवाद और अन्य प्रश्नों पर केन्द्रित उनके विचार ध्यानपूर्वक पढ़े जाने की माँग करते हैं। कुँवर जी की केन्द्रीय चिन्ता जीवन को समरस बनाने की है। इस क्रम में शाश्वत सन्दर्भों के साक्ष्य उभरते हैं। साथ ही, वर्तमान विश्व जिस अन्याय-अनाचार से त्रस्त है, उसके मानवीय समाधान की दिशाएँ भी प्रशस्त होती हैं।‘साहित्य के सामाजिक सरोकार के माने’ में कुँवर जी कहते हैं, ‘इतना ही काफ़ी नहीं कि साहित्य जीवन के दैनिक और व्यावहारिक पक्ष से ही अपनी पहचान बनाए। अगर समाज का आत्मिक और नैतिक पक्ष भी नहीं उभरता तो साहित्य का काम अधूरा रह जाएगा।’कुँवर नारायण बहुअधीत रचनाकार हैं। यही कारण है कि उनका लेखन देश और काल की सीमित और सुविदित परिधियों का विस्तार करता है। ‘विश्व विवेक’ के साथ चिन्तन करनेवाले कुँवर नारायण के ये आलेख पाठक को तात्त्विक रूप से बसंशोधित और समृद्ध करते हैं। स्मृति, विचार, रचना और बोध के विरुद्ध खड़े समय-समाज के सम्मुख कुँवर जी एक मानवीय पक्ष उद्घाटित करते हैं। पढ़े और गुने जाने योग्य एक संग्रहणीय पुस्तक।
Literary Criticism - Shabd Aur Deshkal
Shabd Aur Deshkal - by - Rajkamal Prakashan
Shabd Aur Deshkal -
- Stock: 10
- Model: RKP881
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP881
- ISBN: 0
- Total Pages: 128p
- Edition: 2022, Ed. 2nd
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2013
₹ 395.00
Ex Tax: ₹ 395.00