Menu
Your Cart

Literary Criticism - Nai Kavita : Ek Sakshaya

Literary Criticism - Nai Kavita : Ek Sakshaya
काव्य-आन्दोलन और कवि-व्यक्तित्व के बाद स्वतः कविताओं का अध्ययन समीक्षा-क्रम का शायद सही विकास माना जाएगा। ‘हिन्दी नव-लेखन’ (1960) तथा ‘अज्ञेय और आधुनिक रचना की समस्या’ (1968) के उपरान्त यह ‘नयी कविता : एक साक्ष्य’ (1976) आपको नए काव्यानुभव से साक्षात्कार की इसी दिशा में अग्रसर करेगा। नई कविता क्योंकि सम्पूर्ण आधुनिक साहित्यिक गतिविधि के केन्द्र में रही है इसीलिए इस अध्ययन के दौरान आप कविताओं के व्यक्तित्व में तो प्रवेश करेंगे ही—कभी-कभी उनसे टकराएँगे भी—साथ-ही-साथ इस रचना-युग की पूरी मानसिकता से भी परिचित हो सकेंगे। यहाँ समीक्षा का क्रम कवियों के अनुसार चलता है, पर उसके केन्द्र में कविताएँ हैं। तभी समझ में आता है कि कैसे रचना रचनाकार से बड़ी हो जाती है। समीक्षक को इन दोनों के बीच अपना दायित्व निभाना पड़ता है। नई कविता की चुनी हुई नौ कवियों की कविताएँ यहाँ उसके विशिष्ट समीक्षक के साक्ष्यरूप में प्रस्तुत है।

Literary Criticism - Nai Kavita : Ek Sakshaya

Nai Kavita : Ek Sakshaya - by - Lokbharti Prakashan

Nai Kavita : Ek Sakshaya -

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: RKP3630
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP3630
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 116p
  • Edition: 2015, Ed. 4th
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2015
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00