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Literary Criticism - Aadhunik Urdu Kahani Ka Safar

Literary Criticism - Aadhunik Urdu Kahani Ka Safar
मुंशी प्रेमचन्द से सुरेन्द्र प्रकाश तक की उर्दू कहानी का यह विवरण २०वीं सदी के माहौल और समाज का विवरण भी है। मैं साहित्य की किसी भी विधा को उसकी ज़मीन और ज़माने से अलग करके देखने में असमर्थ हूँ ख़ासतौर पर कथा-कहानी को। सार्त्र ने १९४८ में साहित्य की प्रतिबद्धता पर अपनी धारणा व्यक्त करते हुए कविता के मुक़ाबले में कहानी को अपने समय और भौतिक वातावरण में ज़्यादा उलझा हुआ बताया था, ज़्यादा Committed, ज़्यादा  Engaged यानी ज़्यादा प्रतिबद्ध और ज़्यादा व्यस्त। इस तरह हमारे कथा-साहित्य की हदें इतिहास से ‌जा मिलती हैं। लेकिन साहित्य, बहरहाल, इतिहास नहीं होता। साहित्य इतिहास के समानान्तर अपनी एक अलग दुनिया बनाता है। यह दुनिया इतिहास से ज़्यादा रोचक, ज़्यादा सशक्त होती है, अपनी कलात्मकता और सौन्दर्य के कारण। इसीलिए इतिहास के किसी भी युग की सीमाओं के मुक़ाबले में साहित्य और कला की सीमाएँ ज़्यादा विस्तृत और ज़्यादा दिनों तक ज़िन्दा, रोचक और पायदार रहती हैं।—प्रस्तावना से

Literary Criticism - Aadhunik Urdu Kahani Ka Safar

Aadhunik Urdu Kahani Ka Safar - by - Rajkamal Prakashan

Aadhunik Urdu Kahani Ka Safar -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP1628
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP1628
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 219p
  • Edition: 2021, Ed. 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
  • Year: 2021
₹ 299.00
Ex Tax: ₹ 299.00