प्रेम की गहरी व्यंजना, नज़दीकियों और दूरियों की हस्सास अक्कासी, देश और समाज की तल्ख़ हक़ीक़तों से ज़ख़्मी मिसरों और शे’रों की गहरी बुनावट—इन सबसे मिलकर बनती हैं मोनिका सिंह की ग़ज़लें और इस नए ग़ज़ल-संग्रह के ख़्वाब।कहते हैं सहर यानी सुबह के वक़्त देखे गए ख़्वाब सच हो जाते हैं। इस संग्रह की ग़ज़ल..
ख़ुशफ़िक्र शाइर आलोक यादव से मेरा तअल्लुक़ उतना ही पुराना है जितना ख़ुद उनका ग़ज़ल से। तक़रीबन तीन साल क़ब्ल ग़ज़ल से मुताल्लिक़ बुनियादी मालूमात और मुनासिब मशवरों के लिए उन्हें किसी की तलाश थी। उनकी यह तलाशो-जुस्तजू हमारे तअल्लुक़ का सबब बनी।उनके पास क़ाबिलियत भी है और सलाहियत भी, हस्सास दिल भी ह..
मुहब्बत और इनक़लाब की तरफ़दारी फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शाइरी का बुनियादी स्वर है और रोमान इस शाइरी के तेवर का ख़ास पहलू। प्रगतिशील मूल्यों की तरफ़दारी करनेवाली इस शाइरी के असर का अन्दाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि फ़ैज़ के जीते-जी यह उनके मुल्क और भाषा की सरहदों को पार कर दुनिया-भर के शोषित-पीड़ित अवाम क..