Hindi - Ghar-Aangan-Dehri Se Satta Ke Galiyaron Tak
यह आत्मकथा एक मध्य-मध्यम वर्गीय परिवार के साधारण से बालक के जीवन का दस्तावेज है, जो पारिवारिक पृष्ठभूमि, आस-पास की दुनिया उसके परिवेश से—जीवन में— ‘कुछ’ बनने के लिए प्रोत्साहित होता है। और इस ‘कुछ’ बनने की प्रक्रिया में और उसकी इस यात्रा में परंपराएँ, वर्तमान परिवेश, भविष्य की आकांक्षाएँ उसे प्रोत्साहित करती हैं तथा वह कामनाओं, परिश्रम, कष्टों, सुखों, दुःखों, सफलताओं, संत्रासों के उन सभी पड़ावों से गुजरता है, जो कहीं-न-कहीं आपके अपने जीवन के अनुभवों और सरोकारों को स्पर्श करते होंगे; यदि ऐसा है तो ऐसे सभी लोगों के लिए यह पुस्तक सुग्राह्य होगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
इस पुस्तक में स्थानों, घटनाओं (राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय) तथा व्यक्तित्वों का संदर्भ मिलेगा, जो यद्यपि प्रथम दृष्ट्या असंबद्ध या अटपटा सा लग सकता है, परंतु वे सभी इस दृष्टि से इस वृत्तांत और आख्यान के महत्त्वपूर्ण अंश हैं कि ‘साधारण से बालक’ के व्यक्तित्व निर्माण प्रक्रिया के विभिन्न चरणों मंट इन्होंने उसे विशिष्ट पृष्ठभूमि प्रदान की है; यह सभी इस आख्यान को अविच्छेद्य परिवेश, परिदृश्य तथा परिप्रेक्ष्य प्रदान करते हैं।
Hindi - Ghar-Aangan-Dehri Se Satta Ke Galiyaron Tak
Ghar-Aangan-Dehri Se Satta Ke Galiyaron Tak - by - Prabhat Prakashan
Ghar-Aangan-Dehri Se Satta Ke Galiyaron Tak -
- Stock: 10
- Model: PP255
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP255
- ISBN: 9789386231000
- ISBN: 9789386231000
- Total Pages: 544
- Edition: Edition 1
- Book Language: HINDI
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2016
₹ 800.00
Ex Tax: ₹ 800.00