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Fiction : Stories - Ek Doosra Alaska

Fiction : Stories - Ek Doosra Alaska
अनीता ने कहानी-लेखन की शुरुआत उन दिनों की थी, जब कहानी अनुभव की प्रामाणिकता को अपना अभीष्ट मानती थी, लेकिन इसे अनीता की जागरूकता ही माना जाएगा कि आज, जबकि कहानी अनुभव की प्रामाणिकता नहीं, अनुभव के अर्थों को विश्लेषित करती है, वह समय-सापेक्ष कहानियाँ लिख रही हैं। उनकी पहले की कहानियों—‘लाल परांदा’, ‘न जाने क्यों’, ‘चरागाहों के बाद’ आदि में ‘नई कहानी’ का हैंग-ओवर ज़रूर मौजूद है, लेकिन इन्हीं के समानान्तर ‘दिन से दिन’ और ‘बेग़ज़ल’ जैसी कहानियों में वह निजी शिनाख़्त भी मौजूद है, जो उन्हें आज के समान्तर लेखन से जोड़ देती है।अनीता की इधर की कहानियों में व्यक्ति के अकेले पड़ जाने का एहसास तीव्र हुआ है, लेकिन इसके साथ ही हमारे आसपास जो ग़लत और गलित है, जो कुछ रुग्ण और रूढ़िगत है, उसके प्रति नकार का स्वर भी उभरा है। इस नकार के स्वर ने अनीता की कहानियों को संश्लिष्टता तो दी ही है, एहसास की तल्ख़ी भी दी है। अब वह पात्रों और उनकी स्थितियों पर चुटकी लेने के बजाय उनकी मानसिकता में गहरे उतरने का प्रयास करती हैं। अनीता की कहानियों की सबसे बड़ी सफलता यही है कि वे इस मानसिकता को समय-सापेक्ष सत्य की कसौटी पर लगातार कसती हैं और आज के आदमी को उसकी अन्दरूनी और बाहरी शक्ल का सही साक्षात्कार कराती हैं।—कमलेश्वर

Fiction : Stories - Ek Doosra Alaska

Ek Doosra Alaska - by - Radhakrishna Prakashan

Ek Doosra Alaska -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP3121
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP3121
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 171p
  • Edition: 2002, Ed. 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2002
₹ 195.00
Ex Tax: ₹ 195.00