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Fiction : Novel

Fiction : Novel
सोचा न था उदासी, ऊब, सपनों और सपनों के नामालूम ढंग से टूट जाने की कहानी है। इस उपन्यास में लेखिका ने एक अत्यन्त सामान्य कथानक के भीतर छिपी असामान्य उत्सुकताओं की खोज की है। माया, जो इस उपन्यास की मुख्य चरित्र है, देखती आँखों उसकी ज़िन्दगी में किसी तरह का कोई अभाव नहीं, कोई दु:ख नहीं—सुन्दर, सुशिक्षि..
₹ 295.00
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सत्यजित राय ने इस उपन्यास में अपने किशोर पाठकों को बंगाल से राजस्थान तक की यात्रा कराई है—कलकत्ता से जैसलमेर तक की यात्रा। यह उपन्यास एक ऐसे किशोर बालक मुकुल की कथा है जिसे पूर्व जन्म की बातें याद रहती हैं। साथ ही यह एक ऐसे जासूस की कथा है जिसे इस प्रकार के सारे रहस्य खोज निकालने का शौक़ है। अपनी इस..
₹ 125.00
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वर्ष 1959 में प्रकाशित ‘सूखा पत्ता’ को अमरकान्त की ही नहीं, बल्कि उस दौर में लिखे गए समूचे उपन्यास-साहित्य की एक विशिष्ट उपलब्धि माना जाता है।आज़ादी से पहले के पूर्वी उत्तर प्रदेश का क़स्बाई परिवेश और इसके किशोर कथा-नायक कृष्ण का चित्रण यहाँ असाधारण रूप में हुआ है। कृष्ण के मित्र मनमोहन के रूप में..
₹ 195.00
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ईसा की प्रथम शताब्दी में महाकवि इलंगोवन रचित तमिल महाकाव्य ‘शिलप्पदिकारम्’ भारतीय साहित्य की एक अनमोल रचना है। प्रस्तुत उपन्यास उक्त महाकाव्य की कथावस्तु पर आधारित पहली हिन्दी कृति है, जिसमें दक्षिण भारत के ऐतिहासिक जीवन का विस्तृत और विश्वसनीय चित्रण हुआ है।तत्कालीन पृष्ठभूमि को सँजोने में लेखक न..
₹ 250.00
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More Information Language Hindi Format Paper Back Publication Year 1969 Edition Year 1978, Ed. 2nd Pages 144p Translator Not Selected Editor Not Selected Publisher Lokbharti Prakashan -Hans Prakashan Dimensions 17 X 12 X 0.5..
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‘सुखी घर सोसाइटी’ उपन्यास महानगर मुम्बई के उपनगर स्थित एक रिहाइशी परिसर का ऐसा वृत्तान्त है जिसमें क़स्बे के एक मुहल्ले की तरह विविधवर्णी जीवन की आपाधापी है, वहीं उसमें महानगर के अन्तर्द्वन्द्व, रहवासियों की हताशाएँ और उनके दैनिक संघर्ष की छोटी-छोटी ऐसी मार्मिक कथाएँ भी हैं जो रिसते ज़ख़्मों की तरह ..
₹ 350.00
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‘सूनी घाटी का सूरज’ एक ग्रामीण युवक के बारे में है जो शिक्षित और प्रतिभाशाली होने के बावजूद स्वयं को एक ऐसे समाज में पाता है, जहाँ उसकी सोच, आदर्शों और गुणों के व्यापारी प्रतिष्ठित हैं। लेकिन उस बाज़ार में अपनी गुणवत्ता और उपयोगिता को साबित करने के लिए उसके पास न तो सिफ़ारिश है, न उसके सम्बन्ध किसी ‘..
₹ 150.00
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मैं महापरिनिर्वाण के समीप था। रात्रि का अन्तिम प्रहर चल रहा था। लोगों के दर्शनों का क्रम टूटा नहीं था। वे सब दुखी थे, पर व्यर्थ में मेरी आँखों के सामने कुछ पुराने दृश्य उभरे। वैशाली में प्रवास के दौरान आनन्द ने राहुल के निर्वाण की सूचना दी। गोपा का मुखमंडल उभरा। पिताश्री का मुस्कुराता हुआ मुख, माताश..
₹ 195.00
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रेशम की-सी नरम ठंडी मगर उष्म शैली में प्रस्तुत इस उपन्यास में एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसके फटे बचपन ने उसके सहज भोलेपन को असमय चाक कर दिया और उसके तन-मन के गिर्द दुश्मनी की कँटीली बाड़ खींच दी।अन्दर और बाहर की दोहरी दुश्मनी में जकड़ी रत्ती की लड़ाई मानवीय-मन की नितान्त उलझी हुई चाहत और जीवन-भरे ..
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“छोट्टो घर खानीमौने की पौड़े सुरंगमा?मौने की पौड़े, मौने की पौड़े?...”एक प्राणों से प्रिय व्यक्ति तीन-चार मधुर पंक्तियों से सुरंगमा के जीवन को संझा के वेग से हिलाकर रख देता है। बार-बार।शराबी, उन्मादी पति से छूटभागी लक्ष्मी को जीवनदाता मिला अँधेरे भरे रेलवे स्टेशन में। रॉबर्ट और वैरोनिका के स..
₹ 199.00
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Surkh Aur Syah
Free 2-3 Days
इस उपन्यास की शुरुआत में स्तान्धाल ने दांते की इस उक्ति को आदर्श वाक्य के रूप में दिया है, “सच; बस तल अपने पूरे तीखेपन के साथ...।” और फिर पूरा उपन्यास मानो इस पुरालेख का औचित्य सिद्ध करने में लगा दिया है। किसानी धूर्तता से भरा हुआ, नायक जुलिएं सोरेल का लालची बाप, भरे-पेट और चैन-भरे जीवन की चाहत रखने..
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अपनी रचनात्मक ज़मीन और लेखकीय दायित्व की तलाश करते हुए एक ईमानदार लेखक प्रायः स्वयं को भी रचने की कोशिश करता है। अनुपस्थित रहकर भी वह उसमें उपस्थित रहता है; और सहज ही उस देश-काल को लाँघ जाता है जो उसे आकार देता रहा है। समकालीन कथाकारों में संजीव की मौजूदगी को कुछ इसी तरह देखा जाता है। आकस्मिक नहीं क..
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