Menu
Your Cart

Fiction : Novel - Ghar

Fiction : Novel - Ghar
समकालीन हिन्दी कथा-साहित्य के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर विभूति नारायण राय का यह उपन्यास मध्यवर्गीय परिवार की विडम्बनापूर्ण जीवन-स्थितियों का दारुण दस्तावेज़ है। पेंशनयाफ़्ता मुंशी रामानुज लाल का यह घर क्यों ईंट-गारे के मकान में तब्दील होकर रह गया, ‘घर’ शब्द से जुड़ी ऊष्मा कैसे एकाएक वाष्प बनकर उड़ गई, एक ही छत के नीचे रहते हुए घर के प्राणी एक-दूसरे से एकदम कटकर संवादहीनता की अंधी सुरंग में क्यों फँस गए जहाँ न परिचित स्पर्श था और न ही स्वर? इन सवालों के जवाब के अलावा यह हमारी व्यवस्था की उन विडम्बनाओं और विद्रूपताओं की कहानी भी है जिनमें फँसकर एक पढ़ा-लिखा नवयुवक बेरोज़गारी का दंश झेलते हुए नपुंसक आक्रोश से भर उठता है और स्वयं से तथा समाज से आँखें चुराने लगता है, दूसरी तरफ़ यह उन हज़ारों राजकुमारियों के करुण दु:ख की कथा भी है जिन्हें कोई राजकुमार लेने नहीं आता। सरस भाषा और प्रवाहपूर्ण कथा विन्यास विभूति नारायण राय की अपनी विशिष्टता है जिसे पाठक इस उपन्यास में भी पाएँगे।

Fiction : Novel - Ghar

Ghar - by - Radhakrishna Prakashan

Ghar - समकालीन हिन्दी कथा-साहित्य के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर विभूति नारायण राय का यह उपन्यास मध्यवर्गीय परिवार की विडम्बनापूर्ण जीवन-स्थितियों का दारुण दस्तावेज़ है। पेंशनयाफ़्ता मुंशी रामानुज लाल का यह घर क्यों ईंट-गारे के मकान में तब्दील होकर रह गया, ‘घर’ शब्द से जुड़ी ऊष्मा कैसे एकाएक वाष्प बनकर उड़ गई, एक ही छत के नीचे रहते हुए घर के प्राणी एक-दूसरे से एकदम कटकर संवादहीनता की अंधी सुरंग में क्यों फँस गए जहाँ न परिचित स्पर्श था और न ही स्वर?

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: RKP2557
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP2557
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 107p
  • Edition: 2010, Ed. 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
  • Year: 2010
₹ 60.00
Ex Tax: ₹ 60.00
Tags: ghar , fiction , : , novel , hindi , gagan , notebook