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Fiction : Novel - Baadshahi Angoothi

Fiction : Novel - Baadshahi Angoothi
औरंगज़ेब तब बादशाह नहीं बना था, शहज़ादा ही था; जब उसे समरकन्द की एक लड़ाई पर भेजा गया। लड़ते हुए जब उसकी जान पर बन आई तो उसके सिपहसालार ने उसकी रक्षा की। इससे खुश होकर औरंगज़ेब ने उसे अपनी एक अँगूठी बख्श दी। सैकड़ों बरस बाद वही अँगूठी आगरा में उस सिपहसालार के खानदानवालों से प्यारेलाल नामक एक रईस ने ख़रीदी; और फिर वह उसे एक डॉक्टर को भेंट कर गया...स्वाभाविक है कि ऐसी बेशकीमती अँगूठी को हड़पने के लिए चोर-डाकू भी उसके पीछे लगे। लेकिन उससे पहले ही वह कुछ इस प्रकार गायब हुई, मानो जादू हो गया हो!और इसके बाद शुरू होती है उसे, बल्कि कहना चाहिए, उसे चुरानेवाले व्यक्ति को खोजने की रहस्यपूर्ण यात्रा।एक प्रकार से देखा जाए तो यह जासूसी उपन्यास है, लेकिन सत्यजित राय सरीखे लेखक और फिल्मकार की रचना-दृष्टि इतने से ही सन्तोष नहीं कर सकती। यही कारण है कि बादशाही अँगूठी के गायब होने और उसे गायब करनेवाले को खोजते हुए वे लखनऊ, हरिद्वार और ऋषिकेश की ऐतिहासिक यात्रा भी कराते हैं।कहना न होगा कि किशोर पाठकों को ध्यान में रखकर लिखा गया यह उपन्यास दिलचस्प भी है और ज्ञानवर्धक भी।

Fiction : Novel - Baadshahi Angoothi

Baadshahi Angoothi - by - Radhakrishna Prakashan

Baadshahi Angoothi - औरंगज़ेब तब बादशाह नहीं बना था, शहज़ादा ही था; जब उसे समरकन्द की एक लड़ाई पर भेजा गया। लड़ते हुए जब उसकी जान पर बन आई तो उसके सिपहसालार ने उसकी रक्षा की। इससे खुश होकर औरंगज़ेब ने उसे अपनी एक अँगूठी बख्श दी। सैकड़ों बरस बाद वही अँगूठी आगरा में उस सिपहसालार के खानदानवालों से प्यारेलाल नामक एक रईस ने ख़रीदी; और फिर वह उसे एक डॉक्टर को भेंट कर गया.

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  • Stock: 10
  • Model: RKP3042
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP3042
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 115p
  • Edition: 2022, Ed 2nd
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
  • Year: 2008
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00