Essay - Samaya Aur Sarjana
जो उपन्यास, कहानी, कविता में बहुत ही सुथरे-सँवरे रूप में आया है, वह सीधा-सादा कैसा था, कैसी थी उसकी शुरू की शक्ल—अगर यह जानना हो तो हमें उस साहित्यकार की दुनिया में पैठना होगा। इस दुनिया में पूर्ववर्ती साहित्यकार हैं जिनसे वह प्रभावित हुआ, कालजयी साहित्य के वे अविस्मरणीय पात्र हैं जो बतौर मित्र उसके साथ घूमते-फिरते हैं, वे शंकाएँ और सवाल हैं, जिनसे उसका टकराना आए दिन होता रहता है, वे इच्छाएँ, आकांक्षाएँ और प्रार्थनाएँ हैं जो आधा बाहर जाती हैं, आधा भीतर रहती हैं।'समय और सर्जना' से गुज़रना गोविन्द मिश्र की उस रहस्यमयी दुनिया से गुज़रना है, जहाँ उपरिखित तथा कितनी ही दूसरी चीज़ें छायाओं-सी डोलती नज़र आती हैं...जहाँ विषयों और प्रश्नों का दोहराव भी इन छायाओं से बार-बार टकराने जैसा है। ये छोटे-छोटे आलेख जहाँ हमारे समय के बड़े-बड़े प्रश्नों से टकराते दिखते हैं, वहीं इनका व्यक्तिगत स्वर इन्हें ऐसी मिठास और रसवत्ता में लपेटे चलता है कि ये छोटे-छोटे निबन्ध नहीं, बड़ी-बड़ी कविताएँ लगते हैं।
Essay - Samaya Aur Sarjana
Samaya Aur Sarjana - by - Radhakrishna Prakashan
Samaya Aur Sarjana - जो उपन्यास, कहानी, कविता में बहुत ही सुथरे-सँवरे रूप में आया है, वह सीधा-सादा कैसा था, कैसी थी उसकी शुरू की शक्ल—अगर यह जानना हो तो हमें उस साहित्यकार की दुनिया में पैठना होगा। इस दुनिया में पूर्ववर्ती साहित्यकार हैं जिनसे वह प्रभावित हुआ, कालजयी साहित्य के वे अविस्मरणीय पात्र हैं जो बतौर मित्र उसके साथ घूमते-फिरते हैं, वे शंकाएँ और सवाल हैं, जिनसे उसका टकराना आए दिन होता रहता है, वे इच्छाएँ, आकांक्षाएँ और प्रार्थनाएँ हैं जो आधा बाहर जाती हैं, आधा भीतर रहती हैं।'समय और सर्जना' से गुज़रना गोविन्द मिश्र की उस रहस्यमयी दुनिया से गुज़रना है, जहाँ उपरिखित तथा कितनी ही दूसरी चीज़ें छायाओं-सी डोलती नज़र आती हैं.
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- Model: RKP2950
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP2950
- ISBN: 0
- Total Pages: 124p
- Edition: 2000, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2000
₹ 0.00
Ex Tax: ₹ 0.00