History - Manushya Aur Paryavaran
विगत दशकों में पारिस्थितिकी और उससे जुड़े मसलों के प्रति विशेष रुचि दिखाई पड़ी है, ख़ास तौर पर जलवायु-परिवर्तन को लेकर होनेवाली बहसों के सन्दर्भ में इस तरफ़ सुधीजन का ज़्यादा ध्यान गया है। लेकिन पारिस्थितिकी का विमर्श सिर्फ़ जलवायु तक सीमित नहीं है। इसमें जीव-जन्तुओं तथा पेड़-पौधों के साथ मनुष्य के रिश्तों के अलावा मनुष्य जाति के सम्मुख प्रकृति द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का अध्ययन भी शामिल होता है। इसी व्यापक परिप्रेक्ष्य के साथ इस पुस्तक में पारिस्थितिकी के इतिहास को देखा-समझा गया है।‘भारत का लोक इतिहास’ परियोजना के तहत प्रकाशित यह पुस्तक भी इस श्रृंखला की अन्य कड़ियों की तरह गहन अध्ययन और प्रामाणिक सामग्री पर आधारित है। मूल स्रोतों के उद्धरणों तथा पारिस्थितिकी, पर्यावरण विज्ञान, वन विज्ञान तथा प्राकृतिक इतिहास पर विशेष टिप्पणियों से समृद्ध इस पुस्तक में विषय से सम्बन्धित अन्य उपयोगी ग्रन्थों का उल्लेख भी किया गया है जिससे पाठक और अधिक लाभान्वित होंगे।सूचनाओं की सटीकता को बरकरार रखते हुए, पुस्तक को अतिरिक्त तकनीकी विवरणों से मुक्त रखा गया है ताकि इतिहास के छात्रों के अलावा यह सामान्य पाठकों के लिए भी रुचिकर सिद्ध हो।
History - Manushya Aur Paryavaran
Manushya Aur Paryavaran - by - Rajkamal Prakashan
Manushya Aur Paryavaran -
- Stock: 2-3 Days
- Model: RKP1899
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP1899
- ISBN: 0
- Total Pages: 184p
- Edition: 2022, Ed. 3rd
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2015
₹ 0.00
Ex Tax: ₹ 0.00