Discourse - Kathghare Mein Loktantra
अपने जनवादी सरोकारों और ठोस तथ्यपरक तार्किक गद्य के बल पर अरुन्धति रॉय ने आज एक प्रखर चिन्तक और सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपना ख़ास मुक़ाम हासिल कर लिया है। उनके सरोकारों का अन्दाज़ा उनके चर्चित उपन्यास, ‘मामूली चीज़ों का देवता’ ही से होने लगा था, लेकिन इसे उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता की निशानी ही माना जाएगा कि अपने विचारों और सरोकारों को और व्यापक रूप से अभिव्यक्त करने के लिए, अरुन्धति रॉय ने अपने पाठकों की उम्मीदों को झुठलाते हुए, कथा की विधा का नहीं, बल्कि वैचारिक गद्य का माध्यम चुना और चूँकि वे स्वानुभूत सत्य पर विश्वास करती हैं, उन्होंने न सिर्फ़ नर्मदा आन्दोलन के बारे में अत्यन्त विचारोत्तेजक लेख प्रकाशित किया, बल्कि उस आन्दोलन में सक्रिय तौर पर शिरकत भी की। यही सिलसिला आगे परमाणु प्रसंग, अमरीका की एकाधिपत्यवादी नीतियों और ऐसे ही दूसरे ज्वलन्त विषयों पर लिखे गए लेखों की शक्ल में सामने आया।
‘कठघरे में लोकतंत्र’ इसी सिलसिले की अगली कड़ी है। इस पुस्तक में संकलित लेखों में अरुन्धति रॉय ने आम जनता पर राज्य-तंत्र के दमन और उत्पीड़न का जायज़ा लिया है, चाहे वह हिन्दुस्तान में हो या तुर्की में या फिर अमरीका में। जैसा कि इस किताब के शीर्षक से साफ़ है, ये सारे लेख ऐसी तमाम कार्रवाइयों पर सवाल उठाते हैं जिनके चलते लोकतंत्र–यानी जनता द्वारा जनता के लिए जनता का शासन–मुट्ठी-भर सत्ताधारियों का बँधुआ बन जाता है।
अपनी बेबाक मगर तार्किक शैली में अरुन्धति रॉय ने तीखे और ज़रूरी सवाल उठाए हैं, जो नए विचारों ही को नहीं, नई सक्रियता को भी प्रेरित करेंगे। और यह सच्चे लोकतंत्र के प्रति अरुन्धति की अडिग निष्ठा का सबूत हैं।
–नीलाभ
Discourse - Kathghare Mein Loktantra
Kathghare Mein Loktantra - by - Rajkamal Prakashan
Kathghare Mein Loktantra -
- Stock: 10
- Model: RKP589
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP589
- ISBN: 0
- Total Pages: 216p
- Edition: 2020, Ed. 4th
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
- Year: 2012
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00