Biography - Kanshiram : Bahujanon Ke Nayak
एक दलित आइकॉन के रूप में कांशीराम (1934-2006) की प्रतिष्ठा, आज के समय में आंबेडकर के बाद के एकमात्र नेता के रूप में है। यह किताब उनकी पूरी यात्रा पर रोशनी डालती है। कांशीराम के शुरुआती वर्ष ग्रामीण पंजाब में बीते और पुणे में आंबेडकरवादियों के साथ मिलकर ‘बामसेफ’ की नींव डाली, जो व्यापक स्वरूप वाला ऐसा संगठन था जिसने पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों, दलितों और अल्पसंख्यकों को एकजुट किया और अन्ततोगत्वा 1984 में ‘बहुजन समाज पार्टी’ बनाई।अनगिनत मौखिक और लिखित स्रोतों का सहारा लेकर बद्री नारायण ने दिखाया है कि कैसे कांशीराम ने अपने ठेठ मुहावरों, साइकिल रैलियों और विलक्षण ढंग से स्थानीय नायकों और मिथकों का इस्तेमाल करते हुए व उनके आत्मसम्मान को जगाते हुए दलितों को गोलबन्द किया और कैसे उन्होंने सत्ता पर कब्जा करने के लिए ऊँची जाति की पार्टियों से अवसरवादी गठबन्धन कायम किए। यह किताब कांशीराम की मृत्यु तक मायावती के साथ उनके असाधारण रिश्ते की कहानी भी कहती है। साथ ही उनके सपने को पूरा करने के लिए उनके जीवित रहते और उनकी मृत्यु के बाद मायावती की भूमिका को भी रेखांकित करती है।दो लोगों के बीच के विरोधाभासी नज़रिए को आमने-सामने रखते हुए, नारायण रेखांकित करते हैं कि कैसे कांशीराम ने आंबेडकर के विचारों को भिन्न दिशा दी। जाति का उच्छेद चाहनेवाले आंबेडकर से उलट, कांशीराम ने जाति को दलित पहचान को उभारने के एक आधार और राजनीतिक सशक्तीकरण के एक स्रोत के रूप में देखा।प्राधिकार और पैनी दृष्टि सृजित यह दुर्लभ शब्दचित्र उस आदमी का है, जिसने दलित समाज का चेहरा बदलकर रख दिया और वाकई भारतीय राजनीति का भी।
Biography - Kanshiram : Bahujanon Ke Nayak
Kanshiram : Bahujanon Ke Nayak - by - Rajkamal Prakashan
Kanshiram : Bahujanon Ke Nayak -
- Stock: 10
- Model: RKP842
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP842
- ISBN: 0
- Total Pages: 207p
- Edition: 2019, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
- Year: 2019
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00