‘याद की रहगुज़र’ शौकत कैफ़ी की वह दास्तान है जिसमें उनके शौहर उर्दू के मशहूर शायर और नग़मानिगार कैफ़ी आज़मी और उनके बच्चों एक्ट्रेस शबाना आज़मी और कैमरामैन बाबा आज़मी के ख़ूबसूरत और दिलचस्प क़िस्से हैं। प्रगतिशील लेखक आन्दोलन से जुड़े हुए कवियों और लेखकों का ज़िक्र है। ऊँचे सामाजिक मूल्यों के लिए सं..
सुपरिचित आलोचक निर्मला जैन ने दिल्ली : शहर-दर-शहर जैसे सुपठ संस्मरणात्मक कृति से यह स्पष्ट संकेत दे दिया था कि न तो उनका जीवन एकरेखीय है, न उनकी भाषा और रचनात्मकता का मिज़ाज केवल आलोचनात्मक है। ‘ज़माने में हम’ नामक उनकी यह आत्मकथात्मक कृति उन संकेतों को सच साबित करती है।‘ज़माने में हम’ को निर्मला जी..
'मुम्बई की हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता का इतिहास जब भी लिखा जाएगा, दो ख़ास अध्यायों के बिना वह पूर्ण नहीं हो सकेगा। पहला धर्मवीर भारती का 'धर्मयुग' अध्याय, और दूसरा धीरेन्द्र अस्थाना का 'सबरंग' अध्याय। मैं अगर कहूँ कि 'सबरंग' ने सप्ताह में महज़ एक ही दिन का अपना साथ देकर दैनिक 'जनसत्ता' को मुम्बई मे..