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Aadivasi Literature - Chanda Ka Gond Rajya

Aadivasi Literature - Chanda Ka Gond Rajya
भारत के हृदय में स्थित विंध्याचल और सतपुड़ा की उपत्यकाएँ सघन वनों और पर्वत श्रेणियों के कारण प्राचीनकाल से ही दुर्गम रही हैं और भारत के इतिहास में इस क्षेत्र का उपयुक्त ऐतिहासिक विवरण मुश्किल से मिलता है। इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण इस पर उत्तर और दक्षिण की राजनीति का कम ही प्रभाव पड़ा। प्राचीनकाल में यहाँ मौर्यों, सातवाहनों, वाकाटकों, राष्ट्रकूटों, यादवों का आधिपत्य रहा। एक लम्बे अन्तराल के बाद खलजी और तुगलकों ने यादव सत्ता की चूलें हिला दीं। इसके बाद इस क्षेत्र में करीब दो सदियों तक कोई प्रबल सत्ता नहीं रही। दो सदियों के इस अंधकार युग के बाद चाँदा राज्य का उदय हुआ।इस कृति में चाँदा राज्य के उत्थान और पतन का वर्णन करने हेतु नवीनतम सामग्री का उपयोग किया गया है। इस सामग्री में समकालीन और लगभग समकालीन फारसी अखबारात और मराठी पत्रों का स्थान महत्त्वपूर्ण है। इस कृति की विशेषता यह भी है कि चाँदा के गोंड राज्य की वंशावली तथा जल-आपूर्ति व्यवस्था पर इसमें विशेष चर्चा की गयी है, जो विभिन्न दृष्टिकोणों से इन विषयों पर प्रकाश डालने का प्रयास करती है। चूँकि मूल फारसी, मराठी स्रोतों में तथा सनदों में इसे चाँदा राज्य कहा गया है, अतः इस कृति में इसे चाँदा राज्य ही कहा गया है।

Aadivasi Literature - Chanda Ka Gond Rajya

Chanda Ka Gond Rajya - by - Rajkamal Prakashan

Chanda Ka Gond Rajya -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP1490
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP1490
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 124p
  • Edition: 2022, Ed. 2nd
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2008
₹ 495.00
Ex Tax: ₹ 495.00