Short stories - Pighli Hui Ladki - Paperback
‘‘हर कहानी ज्यों की त्यों कहना बिलकुल ज़रूरी नहीं। कुछ कहानियों को उनका रूप बदल कर कहा जाए तो ही वे ज़िन्दगी की कहानियाँ लगती हैं। लेकिन किसी की ज़िन्दगी ऐसी कहानी नहीं होनी चाहिए। कहानी पर ‘सच्ची घटना’ का मुलम्मा चढ़ते ही वह कहानी झूठी हो जाती है। तो यूँ समझ लीजिए कि ये एक ‘सच्ची घटना’ झूठी कहानी है। अगर कहानीकार के पास कल्पना ही न हो तो फिर वह किस बात का कहानीकार।’’ ऐसा कहना है आकांक्षा पारे का। लेकिन इस संग्रह के कहानीकार के पास कल्पना भी है, कहानी कहने की कला भी और ज़मीन से जुड़ी संवेदना भी। इस संग्रह में उनकी बारह कहानियों को पढ़ते हुए कहना कठिन है कि कौन सी कहानी ‘सच्ची कहानी’ है और कौन सी ‘झूठी’। लेकिन यह बात तो ज़रूर है कि इनकी कहानियाँ पाठक के मन की गहराई को छू जाती है। हर कहानी का अलग विषय और कलेवर इस बात का प्रमाण है कि आकांक्षा पारे की कथा का फलक बहुत बड़ा है। आकांक्षा पारे पिछले एक दशक से पत्रकारिता में सक्रिय हैं और साथ ही साहित्यिक क्षेत्र में भी। वे ‘आउटलुक’ पत्रिका में फीचर सम्पादक हैं। उन्हें ‘प्रभाष जोशी स्मृति पत्रकारिता सम्मान’, ‘रमाकांत स्मृति कथा सम्मान’, ‘इला-त्रिवेणी सम्मान 2011’, ‘युवा कथा सम्मान’, ‘राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान’ और ‘श्यामधर पत्रकारिता सम्मान’ से सम्मानित किया गया है। उनका अब तक एक कहानी-संग्रह और एक कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुका है।
Short stories - Pighli Hui Ladki - Paperback
Pighli Hui Ladki - Paperback - by - Rajpal And Sons
Pighli Hui Ladki - Paperback -
- Stock: 10
- Model: RAJPAL652
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RAJPAL652
- ISBN: 9789389373165
- ISBN: 9789389373165
- Total Pages: 128
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Paperback
- Year: 2020
₹ 175.00
Ex Tax: ₹ 175.00