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Short stories - Koyla Bhai Na Raakh - Paperback

Short stories - Koyla Bhai Na Raakh - Paperback
"लकड़ी जल कोयला भई कोयला जलकर राख। मैं विरहन ऐसी जली कोयला भई न राख! कबीरदास का यह दोहा वरिष्ठ लेखक राजेन्द्र राव के इस कहानी-संग्रह पर खरा उतरता है। संग्रह की पहली दस कहानियाँ प्रेम के अलग रंग-रूप और सौन्दर्य को पाठकों के सामने जीवन्त रूप में प्रस्तुत करती हैं। इनकी विशेषता यह है कि एक-एक कहानी अपने समय के मूल्यों, रीति-रिवाज़ों, परम्पराओं और परिवेश की हमक़दम है। ये कहानियाँ अपने समय के बनने-बिगड़ने, सँवरने तथा संवर्द्धित होते रूप को भी उद्घाटित करती चलती हैं। संग्रह की कुछ कहानियों में कला, संगीत, संगीतकारों व कलाकारों तथा उनके प्रति जनमानस के विचारों का सुन्दर चित्रण भी हुआ है। संग्रह की शुरुआती कहानियों में प्रेम की चित्र-विचित्र कथाएँ हैं तो अगली पाँच कहानियाँ सर्कस के अदेखे-अजाने जीवन पर आधारित हैं। सर्कस में करतब दिखाने वाले कलाकारों के जीवन के रहस्य-रोमांच, जीवन-मृत्यु के बीच खतरों से पल-पल दोचार होने की कहानियाँ हैं। प्रतिदिन लोगों का मनोरंजन करने वाले कलाकारों के दुःख-दर्द की अन्दरूनी सच्चाई इन कहानियों में अप्रतिम ढंग से आई है। कोयला भई न राख राजपाल एण्ड सन्ज़ से पहली बार 1975 में प्रकाशित हुई और पाठकों के आग्रह पर इतने वर्षों बाद फिर से यह उपलब्ध है, बिल्कुल नयी साज-सज्जा में।"

Short stories - Koyla Bhai Na Raakh - Paperback

Koyla Bhai Na Raakh - Paperback - by - Rajpal And Sons

Koyla Bhai Na Raakh - Paperback - "लकड़ी जल कोयला भई कोयला जलकर राख। मैं विरहन ऐसी जली कोयला भई न राख!

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  • Stock: 10
  • Model: RAJPAL799
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RAJPAL799
  • ISBN: 9789386534514
  • ISBN: 9789386534514
  • Total Pages: 192
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Paperback
  • Year: 2018
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00