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Noir - Ek Adhura Upanyas - Paperback

Noir - Ek Adhura Upanyas - Paperback
एक अधूरा उपन्यास लेखिका आमेली नोतों का पहला उपन्यास है जो उन्होंने 26 वर्ष की उम्र में लिखा था। इसके साथ ही वे एक विलक्षण लेखिका के रूप में स्थापित हो गयीं। तब से लेकर अब तक उनका हर साल एक नया उपन्यास प्रकाशित होता आ रहा है। पन्द्रह से अधिक भाषाओं में उनके उपन्यासों के अनुवाद हो चुके हैं। 1999 में उन्हें फ्रेंच अकादमी के ‘ग्रां प्री’ पुरस्कार से नवाज़ा गया और 2008 में ‘ग्रां प्री जियोनो’ प्राप्त हुआ। इस उपन्यास का मुख्य पात्र, प्रेतेक्सता ताश, साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। उनकी मृत्यु निकट है और उनसे बातचीत करने के लिए पत्रकार लगातार आ रहे हैं लेकिन तर्क-विद्या में सिद्धहस्त प्रेतेक्सता ताश अपने वाक्य-चातुर्य से सबको परास्त कर देते हैं। इसी दौरान यह भी पता चलता है कि वे अपनी निजी ज़िन्दगी में निहायत नस्लवादी और स्त्री-विरोधी ही नहीं बल्कि अव्वल दर्जे के मानव-द्वेषी भी हैं। एक महिला पत्रकार ताश की ज़िन्दगी को खंगालना शुरू करती है जो उन्हें उनके अतीत की ओर ले जाती है। वह यह भी जानने की कोशिश करती है कि आखिर ताश का एक उपन्यास वर्षों से अधूरा क्यों पड़ा है? और यहीं से कहानी एक नया मोड़ लेती है... इस पुस्तक का फ्रेंच से हिन्दी में अनुवाद किया है संजय कुमार ने, जो दस वर्षों से अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद में फ्रेंच साहित्य का अध्यापन कार्य कर रहे हैं। फ्रेंच भाषा, साहित्य और संस्कृति पर उनकी अब तक दसेक पुस्तकें और दर्जन भर शोध निबंध प्रकाशित हो चुके हैं।

Noir - Ek Adhura Upanyas - Paperback

Ek Adhura Upanyas - Paperback - by - Rajpal And Sons

Ek Adhura Upanyas - Paperback - एक अधूरा उपन्यास लेखिका आमेली नोतों का पहला उपन्यास है जो उन्होंने 26 वर्ष की उम्र में लिखा था। इसके साथ ही वे एक विलक्षण लेखिका के रूप में स्थापित हो गयीं। तब से लेकर अब तक उनका हर साल एक नया उपन्यास प्रकाशित होता आ रहा है। पन्द्रह से अधिक भाषाओं में उनके उपन्यासों के अनुवाद हो चुके हैं। 1999 में उन्हें फ्रेंच अकादमी के ‘ग्रां प्री’ पुरस्कार से नवाज़ा गया और 2008 में ‘ग्रां प्री जियोनो’ प्राप्त हुआ। इस उपन्यास का मुख्य पात्र, प्रेतेक्सता ताश, साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। उनकी मृत्यु निकट है और उनसे बातचीत करने के लिए पत्रकार लगातार आ रहे हैं लेकिन तर्क-विद्या में सिद्धहस्त प्रेतेक्सता ताश अपने वाक्य-चातुर्य से सबको परास्त कर देते हैं। इसी दौरान यह भी पता चलता है कि वे अपनी निजी ज़िन्दगी में निहायत नस्लवादी और स्त्री-विरोधी ही नहीं बल्कि अव्वल दर्जे के मानव-द्वेषी भी हैं। एक महिला पत्रकार ताश की ज़िन्दगी को खंगालना शुरू करती है जो उन्हें उनके अतीत की ओर ले जाती है। वह यह भी जानने की कोशिश करती है कि आखिर ताश का एक उपन्यास वर्षों से अधूरा क्यों पड़ा है?

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  • Stock: 10
  • Model: RAJPAL615
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RAJPAL615
  • ISBN: 9789389373257
  • ISBN: 9789389373257
  • Total Pages: 176
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Paperback
  • Year: 2020
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00