General - Bhookh Aag Hai - Hardbound
‘भूख आग है’ का बीज जिस गुज़रे ज़माने की ज़मीन से उड़ कर मेरे ज़ेहन में आ रुका उसमें मैं जवान था और अपने अनेक जवान साथियों की तरह सुर्ख सवेरे और सुनहरे वर्गहीन समाज के स्वप्न देखा करता था-ऐसे समाज के जिसमें ग़रीबी नहीं होगी, शोषण नहीं होगा, ऊंचनीच नहीं होगी, नफ़रत नहीं होगी, भूख नहीं होगी। पान खा कर, और कभी-कभी बीयर पी कर, और सर पर काल्पनिक कफ़न बांध कर हम लोग मस्ती में सड़कें नापते थे और इस तराने को अलापते थे-मुट्ठियां तान कर, आँखें ऊपर तने आकाश पर जमा कर। ‘भूख आग है’ में उसी बीते युग की याद की यंत्रणा है, उन्हीं स्वप्नों की राख मं फूंक मारने की कोशिश है, उसमें बची-दबी किसी चिंगारी की तलाश है। एक तरफ़ यह नाटक उन स्वप्नों का मरसिया है तो दूसरी तरफ़ उन्हें जिलाए रखने के लिए एक तराना है।
General - Bhookh Aag Hai - Hardbound
Bhookh Aag Hai - Hardbound - by - Rajpal And Sons
Bhookh Aag Hai - Hardbound -
- Stock: 10
- Model: RAJPAL1000
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RAJPAL1000
- ISBN: 9788170282730
- ISBN: 9788170282730
- Total Pages: 84
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hardbound
- Year: 2014
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00