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Economic Development - Bharatiya Rajyon Ka Vikas - Hardbound

Economic Development - Bharatiya Rajyon Ka Vikas - Hardbound
भारत अत्यन्त विशाल देश है और इसके प्रदेश आर्थिक विकास तथा उसके कारकों की दृष्टि से एक दूसरे से बहुत भिन्न हैं। प्रत्येक प्रदेश की विकास योजनाओं को उसकी पृष्ठभूमि और परिप्रेक्ष्य में ही परखा जाना चाहिए। यह पुस्तक उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और केरल के आर्थिक अध्ययन इस दृष्टि से प्रस्तुत करती है कि अन्य प्रदेश उनके आईने में विकास की अपनी समस्याओं को न केवल रेखांकित कर सकें बल्कि उनके हल भी ढूँढ़ सकें। ‘‘अमर्त्य सेन की महत्त्वपूर्ण कृतियाँ जाने-माने प्रकाशक राजपाल एण्ड सन्ज़ के उद्यम से हिन्दी भाषा में आ रही हैं। इस प्रयास का महत्त्व यह है कि जिस बहुसंख्यक गरीब और गैर-अमीर मध्यमवर्गीय जनता के जीवन-परिवर्तन को इन विरले अर्थशास्त्रियों के विचार-सरोकार समर्पित हैं-अब उसकी एक बड़ी संख्या को ये उपलब्ध हैं। वे उन पर खुलकर और सोच-समझकर बहस कर सकते हैं और जब भी कोई सरकार जन-हितकारी आर्थिक नीतियों की घोषणा और जन-जीवन में बदलाव के दावे करती है तो वे उन्हें आंक, तोल कर परख सकते हैं। जो ठीक है उससे सहमति और जो गलत है, उस पर विरोध के स्वर उठा सकते हैं। नयी शताब्दी और सहस्राब्दी के भारतीयों के लिए अर्थ जगत और अर्थनीतियों के प्रति जागरूक होना और एक सक्रिय आर्थिक मानव की भूमिका निभाना कत्र्तव्य भी है और आवश्यकता भी।’’-दैनिक हिन्दुस्तान। ‘‘शोधकर्ताओं, विकास कार्यकर्ताओं तथा स्वैच्छिक संस्थाओं के लिए अत्यन्त उपयोगी...सरल भाषा के कारण सामान्य पाठक के लिए भी बोधगम्य’’-बिज़नैस स्टैन्डर्ड

Economic Development - Bharatiya Rajyon Ka Vikas - Hardbound

Bharatiya Rajyon Ka Vikas - Hardbound - by - Rajpal And Sons

Bharatiya Rajyon Ka Vikas - Hardbound - भारत अत्यन्त विशाल देश है और इसके प्रदेश आर्थिक विकास तथा उसके कारकों की दृष्टि से एक दूसरे से बहुत भिन्न हैं। प्रत्येक प्रदेश की विकास योजनाओं को उसकी पृष्ठभूमि और परिप्रेक्ष्य में ही परखा जाना चाहिए। यह पुस्तक उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और केरल के आर्थिक अध्ययन इस दृष्टि से प्रस्तुत करती है कि अन्य प्रदेश उनके आईने में विकास की अपनी समस्याओं को न केवल रेखांकित कर सकें बल्कि उनके हल भी ढूँढ़ सकें। ‘‘अमर्त्य सेन की महत्त्वपूर्ण कृतियाँ जाने-माने प्रकाशक राजपाल एण्ड सन्ज़ के उद्यम से हिन्दी भाषा में आ रही हैं। इस प्रयास का महत्त्व यह है कि जिस बहुसंख्यक गरीब और गैर-अमीर मध्यमवर्गीय जनता के जीवन-परिवर्तन को इन विरले अर्थशास्त्रियों के विचार-सरोकार समर्पित हैं-अब उसकी एक बड़ी संख्या को ये उपलब्ध हैं। वे उन पर खुलकर और सोच-समझकर बहस कर सकते हैं और जब भी कोई सरकार जन-हितकारी आर्थिक नीतियों की घोषणा और जन-जीवन में बदलाव के दावे करती है तो वे उन्हें आंक, तोल कर परख सकते हैं। जो ठीक है उससे सहमति और जो गलत है, उस पर विरोध के स्वर उठा सकते हैं। नयी शताब्दी और सहस्राब्दी के भारतीयों के लिए अर्थ जगत और अर्थनीतियों के प्रति जागरूक होना और एक सक्रिय आर्थिक मानव की भूमिका निभाना कत्र्तव्य भी है और आवश्यकता भी।’’-दैनिक हिन्दुस्तान। ‘‘शोधकर्ताओं, विकास कार्यकर्ताओं तथा स्वैच्छिक संस्थाओं के लिए अत्यन्त उपयोगी.

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  • Stock: 10
  • Model: RAJPAL830
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RAJPAL830
  • ISBN: 9788170283621
  • ISBN: 9788170283621
  • Total Pages: 308
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hardbound
  • Year: 2014
₹ 375.00
Ex Tax: ₹ 375.00