प्रत्येक व्यक्ति में अनेक क्षमताएँ और योग्यताएँ होती हैं जिनका विकास करके मनुष्य अपना वास्तविक रूप, अपना विराट रूप पा सकता है। इन गुणों के विकास से सफलता पाना सुलभ हो जाता है। यही इस पुस्तक का विषय है, जिसे सरल भाषा और रोचक शैली में प्रस्तुत किया गया है।..
राष्ट्र पुरुष के चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्रतिमूर्ति थे नानाजी। उनके विचारों के माध्यम से उनके बहुआयामी व्यक्तित्व का आईना बने हैं इस खंड में दिए गए साक्षात्कार। साक्षात् नानाजी ही जैसे आज की ज्वलंत समस्याओं पर सटीक टिप्पणियाँ करते हमारे सम्मुख बैठे हैं। केवल जिज्ञासाएँ ही शांत नही..