सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान-पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद वे अंत..
‘विचार प्रवाह’ आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के निबन्धों का महत्त्वपूर्ण संग्रह है। अपने निबन्धों के माध्यम से द्विवेदी जी मनुष्य जाति के प्रत्येक अनुभव, उसकी सांस्कृतिक उपलब्धि और प्रकृति के हर विवर्तन का रेखांकन करते हैं। मनुष्य के विकासमान परम्परा-बोध और देश-कालगत परिस्थितियों में उसके मूल्यांकन की..
इस समय भारत में और विशेषत: हिन्दी अंचल में परम्परा के अज्ञान और उसकी दुर्व्याख्या भयावह रूप से फैल रही है। इसके बावजूद हमारे पास ऐसे सजग, ज्ञानसम्पन्न चिन्तक हैं जिनकी परम्परा में पैठ हमें अपनी आधुनिकता को नए आलोक में देखने-समझने की उत्तेजना देती रही है। इनमें से एक है नवज्योति सिंह जिनसे एक लम्बी ब..
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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 1984
Edition Year 1984, Ed. 1st
Pages 134p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan -Hans Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1..
पंडित दीनदयालजी ने भारतीय जीवन दर्शन का गहन अध्ययन कर 'एकात्म मानववाद' प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने पाश्चात्य से मानववाद और भारतीय संस्कृति से एकात्मता ग्रहण किया। अतः कहा जा सकता है कि पाश्चात्य मानववाद के भारतीयकरण की प्रक्रिया की फलश्रुति एकात्म मानववाद है।
भारतीय संस्कृति समाजवादी नहीं है। वह ..
"विचारों के ग्यारह अध्याय' झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष श्री रबींद्रनाथ महतो द्वारा लिखित पुस्तक है, जिसमें उन्होंने राज्य गठन आंदोलन के दौरान और अपने लंबे राजनीतिक अनुभव से स्वयं में उपजे विचारों की प्रस्तुति की है।
अलग-अलग विषयों पर लिखे गए ग्यारह अध्याय राज्य निर्माण के दर्शन, वर्तमान दशा तथा भविष..