ओमप्रकाश वाल्मीकि भारतीय दलित साहित्य के सबसे बड़े हस्ताक्षर हैं। उनकी आत्मकथा, जूठन, जिसमें उन्होंने जातीय अपमान और उत्पीड़न के कई अनछुए सामाजिक पहलुओं पर रोशनी डाली है, दलित साहित्य में मील का पत्थर मानी जाती है। 30 जून 1950 में उत्तर प्रदेश में जन्मे वाल्मीकि ने एम.ए. तक शिक्षा प्राप्त की जिसके द..
वाल्मीकि रामायण विश्व साहित्य की उन चुनिंदा कृतियों में से है जिसे बच्चे जितने चाव से सुनते हैं, उतनी ही जिज्ञासा से दार्शनिक भी पढ़ते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवनचरित के माध्यम से रामायण जीवन के हर पक्ष को छूती है। बुराई पर अच्छाई की जीत इसका मुख्य संदेश है, लेकिन उससे बढ़कर यह बताती है ..