कोरोना के कारण 2020 में घोषित लॉकडाउन ने करोड़ों भारतीयों को अकल्पनीय त्रासदी का सामना करने के लिए विवश कर दिया। नगरों-महानगरों में कल-कारखानों पर ताले लटक गए; काम-धन्धे रुक गए और दर-दुकानें बन्द हो गईं। इससे मजदूर एक झटके में बेरोजगार, बेसहारा हो गए। मजबूरन उन्हें अपने गाँवों का रुख करना पड़ा। उनका य..
जितनी बड़ी दुनिया बाहर है, उतनी ही बड़ी एक दुनिया हमारे अन्दर भी है, अपने ऋषियों-मुनियों की कहानियाँ सुनकर लगता है कि वे सिर्फ़ भीतर ही चले होंगे। यह किताब इन दोनों दुनियाओं को जोड़ती हुई चलती है। यह महसूस कराते हुए कि भीतर की मंज़िलों को हम बाहर चलते हुए भी छू सकते हैं, बशर्ते अपने आप को लादकर न चले ..
अफ़ग़ानिस्तान की जो तस्वीरें इधर दशकों से हमारे ज़ेहन में आ-आ कर जमा होती रही हैं, ख़ून, बारूद, खँडहरों और अभी हाल में जहाज़ों पर लटक-लटक कर गिरते लोगों की उन तमाम तस्वीरों का मुक़ाबला अकेला काबुलीवाला करता रहा है, जो हमारी स्मृति की तहों में आज भी अपने ऊँचे कंधों पर मेवों का थैला लटकाए टहलता रहता ह..
कोई भी यात्रा मात्र व्यक्ति की यात्रा नहीं होती। अगर वह जिस रास्ते पर चल रहा है वह रास्ता भी यात्रा में शामिल है तो–और रास्ते शामिल हैं तो क्या कुछ नहीं शामिल! अरे यायावर रहेगा याद? अज्ञेय का एक ऐसा ही यात्रा-संस्मरण है जिसमें रास्ते शामिल हैं। इसलिए यह पुस्तक अपने काल के भीतर और बाहर एक प्रक्रिया, ..
अपने यात्रा वृत्तान्तों से हिन्दी में एक नई शुरुआत करने वाले असग़र वजाहत अपने आपको सामाजिक पर्यटक या सोशल टूरिस्ट कहते हैं। वे जिस जगह जाते हैं वहाँ का कोरा विवरण नहीं लिखते बल्कि यात्रा वृत्तान्तों के माध्यम से उन जगहों की सांस्कृतिक विविधता और जीवन के रंग दिखाने का प्रयास करते हैं जिससे पाठक उनके स..
हिमालय हमारे देश के भूगोल और इतिहास का महानायक है। हिमालय देश की चारों दिशाओं में फैले भारतीय जनमानस का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्रोत है। शिखरों पर स्थित हमारे तीर्थों का पवित्र प्रतीक है। भारतीय मन को उद्वेलित करती कलात्मक अभिव्यक्तियाँ इसी महान उद्गम से निकली नदियों के साथ-साथ प्रवाहित होती रही ह..
‘चलते तो अच्छा था’ में ईरान और आज़रबाईजान के यात्रा-संस्मरण हैं। असग़र वजाहत ने केवल इन देशों की यात्रा ही नहीं की, बल्कि उनके समाज, संस्कृति और इतिहास को समझने का भी प्रयास किया है। उन्हें इस यात्रा के दौरान विभिन्न प्रकार के रोचक अनुभव हुए हैं। उन्हें आज़रबाईजान में एक प्राचीन हिन्दू अग्नि मिला। क..
कवि ऋतुराज की यह प्रवास डायरी गद्य का नया आस्वाद देती है। परदेस में बैठे कवि को आती घर की याद और चीन में लगातार बदल रहा परिदृश्य इस डायरी के गद्य को द्वंद्वात्मक बनाते हैं। यहाँ चीन के जीवन की आत्मीय छवियाँ हैं तो विकास की दौड़ में भाग रहे युवाओं के दृश्य डायरी को तार्किक बना देते हैं। अपने प्रवाही ..
चित्रकला कविता के देशे पुस्तक का ढाँचा भ्रमण-वृत्तान्त का है किन्तु, विधागत रूढ़ अर्थों में यह यात्रा वृत्तान्त नहीं है। दरअसल सुनील गंगोपाध्याय को असल में अपनी युवावस्था में आयोवा विश्वविद्यालय में आयोजित कविता कार्यशाला में नौ मास रहने की वृत्ति मिली थी। यह आमंत्रण प्रसिद्ध कवि पॉल ऐजेल की ओर से म..
अजय सोडानी की किताब 'दरकते हिमालय पर दर-ब-दर’ इस अर्थ में अनूठी है कि यह दुर्गम हिमालय का सिर्फ़ एक यात्रा-वृत्तान्त भर नहीं है, बल्कि यह जीवन-मृत्यु के बड़े सवालों से जूझते हुए वाचिक और पौराणिक इतिहास की भी एक यात्रा है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए बार-बार लेखक और उनकी सहधर्मिणी अपर्णा के जीवट और साहस पर ..
— ‘दर्रा-दर्रा हिमालय’ एक परिवार की हिमालय पर घुमक्कड़ी का वृत्तान्त है। ऐसा परिवार जो फ़ुर्सत के क्षणों में विदेशों की सैर के बजाय बर्फ़ ढँके इन पहाड़ों को वरीयता देता है। इंदौर के अजय सोडानी को हिमालय की सर्द, मनोहारी और जानलेवा वादियों से गहरा अनुराग है। काल्पनिक से लगनेवाले सौन्दर्यशाली पहाड़ों पर ..
हिन्दी के ज़्यादातर पत्रकारों के यात्रा-वृत्तान्त आम तौर पर रपट होते हैं। उनके केन्द्र में सिर्फ़ तथ्य और विवरण होते हैं। लेकिन वरिष्ठ पत्रकार और सांसद हरिवंश के इन यात्रा-विवरणों में तथ्यों के साथ-साथ संवेदना और मानवीय प्रसंगों को भी बख़ूबी पिरोया गया है। इसी के चलते उनकी ये पत्रकारीय रपटें साहित्य..