ये मेरी नहीं, हजारों हजार उन लोगों की कहानियाँ हैं, जिन्होंने इन कहानियों को जिया है, पर जो उन्हें लिख नहीं सके।
इन कहानियों में अबूझे जन अपने को भूले-भटके तलाशते मन और उदासी में तल्लीनता ढूँढ़ते क्षण स्वयं से संवाद कर उठे हैं।वे रहें या न रहें, परंतु उनकी इन यादों में अकेली साँझ, मौन में सोई सुबह ..