हिदुत्व की विचारधारा बहुत उदार है, सहिष्णु है, अहिंसक है, शांतिप्रिय है, विविधतावादी है, सर्वसमावेशी है। ये गुण ही उसकी पहचान हैं। उसकी विशेषता हैं। उसकी शक्ति हैं; किंतु राजनीति से प्रेरित नकारात्मक मस्तिष्क ने मीडिया और शैक्षिक जगत् पर अपने वर्चस्व का दुरुपयोग कर हिंदुत्व के विरुद्ध ऐसा विषाक्त वा..
साहित्यिक बिरादरी से बाहर निकलकर व्यापक भारतीय समाज को देखें तो कबीर, तुकाराम, तुलसी, मीरा, अखा, नरसी मेहता आज भी समकालीन हैं। भक्त कवि हिन्दी समाज के रोज़मर्रा के जीवन में किसी भी अन्य कवि से अधिक उपस्थित हैं। ‘निरक्षर’ हिन्दीभाषी भी कबीर के चार-छह दोहों और तुलसी की दो-चार चौपाइयों से तो वाक़िफ़ है..
“ना बबुआ ना, रोइए नहीं। मैं आपके आँसू नहीं देख सकता।”
वे और रोने लगे। मैंने उनका सिर अपने हाथों में भर लिया और आँसू पोंछने लगा। वे बच्चे की तरह मेरी गोद में भहरा उठे। कुछ देर बाद बोले, “कहाँ रहे दिन भर?”
“खेतों में आपके साथ घूमता रहा।”
“मेरे साथ?”
“हाँ, आपकी यादों के साथ।”
“अच्छा जाओ, खाना-वाना..