‘सारे स़ुखन हमारे’ के रूप में समकालीन उर्दू शाइरी के अजीमुश्शान शाइर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की तमाम ग़ज़लों, नज़्मों, गीतों और क़तआ’त को हिन्दी में पहली बार एक साथ प्रस्तुत किया गया है। इसमें उनका आख़िरी कलाम तक शामिल है।उर्दू शाइरी में फ़ैज़ को ग़ालिब और इक़बाल के पाये का शाइर माना गया है, लेकिन उनकी प..