‘21वीं सदी : पहला दशक’ पुस्तक में विख्यात पत्रकार प्रभाष जोशी के वे लेख संकलित हैं जो उन्होंने ‘जनसत्ता’ दैनिक में सन् 2000 के बाद लिखे। 2001 से 2009 के बीच प्रकाशित इन लेखों में देश की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन की धड़कनें सुनी जा सकती हैं।21वीं सदी के आगमन को सत्ताधारी वर्ग ने सम्पन्नता के ..
राजस्थान में देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा रजवाड़ों और जागीरदारों का ज़बर्दस्त दबदबा रहा, लेकिन जैसे ही सामन्ती व्यवस्था हटी तो औरतों के लिए अवसर आए, शिक्षा का प्रचार-प्रसार हुआ। अपनी स्थिति पर उनके बीच चर्चा व मंथन की शुरुआत हुई तथा राजस्थान की आम औरतों ने अपनी आवाज़ को बुलन्द करना शुरू किया। यह एक..
वरिष्ठ नाट्य-समीक्षक जयदेव तनेजा की इस नई पुस्तक ‘आधुनिक भारतीय नाट्य-विमर्श’ में ऐसे नाटककारों और नाटकों की समीक्षा की गई है जो पिछले लगभग सौ वर्षों से अपनी सार्थकता एवं प्रासंगिकता बनाए हुए हैं। यही नहीं, संस्कृत नाट्य-काल से लेकर इक्कीसवीं सदी के प्रथम दशक में उभरे/उभर रहे उन युवा नाटककारों की चर..
यशस्वी कथाकार-सम्पादक राजेन्द्र यादव की इस किताब में स्त्रियों की मुक्ति की राह में मौजूद अनगिनत गुत्थियों पर लिखे लेखों में अनेक कोणों से विचार किया गया है। बीते लगभग चार दशकों में विभिन्न विचारोत्तेजक मसलों पर स्त्रियों के पक्ष में दी गई दलीलों के साथ-साथ इन लेखों में बार-बार उन पेचीदगियों की तरफ़..
‘आगे अन्धी गली है’ में विख्यात पत्राकार प्रभाष जोशी द्वारा ‘प्रथम प्रवक्ता’ और ‘तहलका’ में छपे कॉलम संकलित हैं।प्रभाष जोशी ने हिन्दी पत्रकारिता में कॉलम लेखन को एक नया रूप देने के साथ ही उसे विविधता भी प्रदान की। ‘जनसत्ता’ में लिखे उनके कॉलम ‘कागद कारे’ के समानान्तर ‘प्रथम प्रवक्ता’ का कॉलम ‘लाग ल..
प्रस्तुत पुस्तक डॉ. दाभोलकर के ‘सकाळ’ अखबार में छपे स्तम्भ-लेखन का संकलन है. इसमें डॉ. दाभोलकर के पाठकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर हैं लेकिन उनका स्वरुप प्रश्न-उत्तर का नहीं है. यह पत्र-शैली के रूप में किया गया लेखन है. डॉ. दाभोलकर के मतानुसार यह एक कार्यकर्ता का लेखन है.प्रस्तुत पुस्तक दरअ..
नवजागरण अपने राष्ट्रीय जागरण व सुधारवादी आन्दोलन के दौरान अनेक सार्थक प्रयासों और अपनी सफलताओं के लिए जाना जाता है। यह वही दौर था जब साम्राज्य विरोधी चेतना एक विराट राष्ट्रीय आन्दोलन का रूप ले चुकी थी, और राष्ट्रवाद अपने पूरे उफान पर था। मगर बावजूद इसके यह दौर अनेक विडम्बनाओं और विरोधाभासों के साथ-स..
अन्धविश्वासों की मानव-समाजों में एक समानान्तर सत्ता चली आई है। शिक्षा, विज्ञान और सामाजिक चेतना के विस्तार के साथ इसके औचित्य पर लगातार प्रश्नचिन्ह लगते रहे हैं और लम्बे समय तक इसका शिकार बनते रहे लोगों ने एक समय पर आकर अन्धविश्वासों की जड़ों को मज़बूत करके अपना कारोबार चलानेवाले पाखंडी बाबाओं से मुक..
कथा-लेखन में बीसवीं सदी बड़े अन्तर्विरोधों की सदी रही है। स्त्री को लेकर यह सदी सबसे ज्यादा दुविधाग्रस्त, असहाय और सन्तप्त रही है। महिला कहानीकारों के द्वारा महिला विषयों पर लिखी गयी कहानियाँ स्त्री अनुभव की कहानियाँ हैं। देश, समाज, समय और परिस्थितियों की भिन्नता के बावजूद हर जगह स्त्री वही है और सुख..
This boxset contains the following titles:
CBSE All in One Accountancy for Class 11 2022-23 edition
CBSE All in One Business Studies for Class 11 2022-23 edition
CBSE All in One Economics for Class 11 2022-23 editionThe combo of “CBSE All In One Accountancy, Business Studies and Economics Clas..
Arihant’s “All in One” is no new name today. One of the Best-Selling Series that is helping students with their school and board exams preparation by providing Complete Theory, Practice, and Assessment as per new issued pattern for the excellent academic results.The freshly updated 2022-23 editio..
लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण के बावजूद संचार के विकेन्द्रीकरण का मुद्दा अभी विमर्श का विषय नहीं बन सका है। इसके बिना लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण की सफलता भी आंशिक ही रहेगी। जब ज्ञान और सूचना को शक्ति माना जाता है तो भला केन्द्रीकृत सूचना-व्यवस्था से विकेन्द्रीकृत शासन-व्यवस्था की आशा कैसे की जा सकती है!..