हिन्दी के आधुनिक कबीर नागार्जुन की कविता के बारे में डॉ. रामविलास शर्मा ने लिखा है : ‘‘जहाँ मौत नहीं है, बुढ़ापा नहीं है, जनता के असन्तोष और राज्यसभाई जीवन का सन्तुलन नहीं है वह कविता है नागार्जुन की। ढाई पसली के घुमन्तू जीव, दमे के मरीज़, गृहस्थी का भार—फिर भी क्या ताक़त है नागार्जुन की कविताओं में!..
पाकिस्तान की उर्दू शायरी में परवीन शाकिर की गणना प्रेम की नाजुक मूर्ति के रूप में होती है। परवीन का प्रेम अपने अद्वितीय अन्दाज़ में ‘नर्म सुख़न’ बनकर फूटा है और अपनी ‘ख़ुशबू’ से उसने उर्दू शायरी की दुनिया को सराबोर कर दिया है।पाकिस्तान की ही प्रसिद्ध कवयित्री फ़हमीदा रियाज़ के अनुसार, ‘परवीन के शे..
‘आज़ादी’ मिली। देश में 'लोकतंत्र’ आया। लेकिन इस लोकतंत्र के पिछले पाँच दशकों में उसका सर्जन करनेवाले मतदाता का जीवन लगभग असम्भव हो गया। रघुवीर सहाय भारतीय लोकतंत्र की विसंगतियों के बीच मरते हुए इसी बहुसंख्यक मतदाता के प्रतिनिधि कवि हैं, और इस मतदाता की जीवन-स्थितियों की ख़बर देनेवाली कविताएँ उनकी प्..
राजेश जोशी की कविताओं को पढ़ना एक पीढ़ी और उसके समय से दस-पन्द्रह साल पीछे की कविता और उससे जुड़ी बहसों के बारे में सोचना, और इतने ही साल आगे की कविता और उसकी मुश्किलों की ओर ताकना है।कविता की एक संश्लेषी परम्परा रही है, जिसके भीतर राजेश जोशी की सक्रियता देखी जा सकती है। इसी बात ने उन्हें ख़ास पहचान ..
समकालीन हिन्दी कविता की व्यापक जनवादी चेतना और प्रगतिशील जीवन-मूल्यों के सन्दर्भ में सर्वेश्वर एक ऐसे कवि के रूप में सुपरिचित हैं जिनकी रचनाएँ पाठकों से बराबर धड़कता हुआ रिश्ता बनाए हुए हैं। उनकी कविताएँ ‘नई कविता’ की ऊहा और आत्मग्रस्तता से बड़ी हद तक मुक्त रही हैं। इस संग्रह में उनके समूचे काव्य-कृति..
निराला को अपना आदर्श माननेवाले शमशेर बहादुर सिंह हिन्दी में ‘कवियों के कवि' शमशेर सिंह के रूप में विख्यात हैं। इस कृति में उनकी चुनिन्दा कविताओं को संकलित किया गया है।शमशेर एक ख़ास सोच और तेवरवाले कवि हैं। उनकी कविता शब्दों तक सीमित नहीं होती, बल्कि ऐसे तमाम शब्द हैं—जिन्हें वे बहुत चुनकर, सोच-समझ..
श्रीकान्त वर्मा का कविता-संसार उनके पाँच कविता-संग्रहों—‘भटका मेघ’ (1957), ‘दिनारम्भ’ (1967), ‘माया दर्पण’ (1967), ‘जलसाघर’ (1973) और ‘मगध’ (1984) में फैला हुआ है। यहाँ इन्हीं से इन कविताओं का चयन किया गया है। इन कविताओं से गुजरते हुए लगेगा कि कवि में आद्यन्त अपने परिवेश और उसे झेलते मनुष्य के प्रति..
त्रिलोचन का काव्य-व्यक्तित्व लगभग पचास वर्षों के लम्बे काल-विस्तार में फैला हुआ है। वे हमारे समय के एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कवि हैं—लगभग एक अद्वितीय कवि। वे एक विषम धरातल वाले कवि हैं। साथ ही उनके रचनात्मक व्यक्तित्व में एक विचित्र विरोधाभास भी दिखाई पड़ता है। एक ओर यदि उनके यहाँ गाँव की धरती का-सा ऊ..
विनोद कुमार शुक्ल समकालीन कविता के संसार में आज ऐसे कवि के रूप में बहुप्रतिष्ठित हैं जिनकी कविता को बिना उनके नाम के भी जागरूक पाठक पहचान लेते हैं।उनकी कविता, कविता के तुमुल कोलाहल के बीच चुपचाप अपने सृजन में व्यस्त दिखती है। किसी भी तरह के दिखावे, छलावे, भुलावे से दूर अपनी राह का ख़ुद निर्माण करत..
विष्णु खरे एक विलक्षण कवि हैं—लगभग लासानी। एक ऐसा कवि जो गद्य को कविता की ऊँचाई तक ले जाता है और हम पाते हैं कि अरे, यह तो कविता है! ऐसा वे जान-बूझकर करते हैं—कुछ इस तरह कि कविता बनती जाती है—कि गद्य छूटता जाता है। पर शायद वह छूटता नहीं—कविता में समा जाता है। ...वे लम्बी कविताओं के कवि हैं—जैसे मुक्..
विश्वनाथप्रसाद तिवारी के वर्षों के सक्रिय कवि-कर्म के सफ़र को देखते हुए आज यह बात कही जा सकती है कि अपने समकालीनों के बीच रहते हुए भी उन्होंने अपने समकालीनों का अतिक्रमण किया। वे अपनी पीढ़ी के उन कवियों में शुमार हैं जिनके मितकथन और मितभाषा के प्रयोग सघन और ताक़तवर हैं, जो आज उनकी काव्योपलब्धि के रू..