1. Master Guide Agriculture Science deals with the Agricultural Entrance exams
2. Covers various sections and makes a complete study package
3. Book is divided into 8 Units and total of 22 Chapters
4. Ample number of MCQs in each chapter
5. Latest question papers of various exams for practice
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‘‘मेरी कहानियां नयी हैं या पुरानी, इस चर्चा में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। हर साहित्य धीरे या जल्दी पुराना पड़ता है, कुछ पुराना पड़ कर फिर नया भी होता है, इस बारे में कुछ पहले भी कह चुका हूं। नयी-पुरानी की काल-सापेक्ष चर्चा में कहानी को उसके काल की अन्य कहानियों के संदर्भ में देखना चाहिए। उस समय वह ..
भगवतीचरण वर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी रचनाकार थे। अपने विचारों और जीवनानुभवों को उन्होंने उपन्यास, कहानी, कविता और नाटक आदि अनेक सर्जनात्मक विधाओं में अभिव्यक्त किया।इस पुस्तक में भगवती बाबू के सभी गद्य और पद्य नाटकों को शामिल किया गया है। उनके प्रसिद्ध नाटक ‘रुपया तुम्हें खा गया’ के अलावा रेडियो ..
‘कमल : सम्पूर्ण रचनाएँ’ लमाबम कमल आधुनिक काल के मणिपुरी साहित्य की नींव रखनेवाले रचनाकारों में से एक थे। जिसे हम आज मणिपुरी भाषा की मौलिक और समृद्ध रचनाधर्मिता कहते हैं, उसके विकास का मूल स्रोत कमल की कविताएँ हैं। उपन्यास, कहानी और नाटक के क्षेत्र में भी उनकी देन ऐतिहासिक महत्त्व रखती है। अडाङ्ल और ..
भक्तिकाल में मीराँ की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई थी। मीराँ के विषय में अनेक किंवदन्तियाँ भी गढ़ ली गईं। किंवदन्तियाँ भले ही ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित न हों, किन्तु उनसे इतना अवश्य ज़ाहिर होता है कि मीराँ अपनी विद्रोही चेतना के कारण लोकप्रिय अवश्य हो गई थीं। जो रचनाकार जितना अधिक लोकप्रिय होता है, उतना ..
नाटककार मोहन राकेश के सभी नाटकों को एक साथ पूरी समग्रता में, इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है। इसमें सभी नाटकों के मूल पाठ, सभी संस्करणों की लेखकीय भूमिकाएं और सृजन-प्रक्रिया पर प्रकाश डालने वाले उद्धरण राकेश की डायरी से दिये गए हैं। साथ ही इन नाटकों के निर्देशकों, समीक्षकों और कलाकारों के आलेख एव..
मोहन राकेश (8 जनवरी 1925 - 3 दिसम्बर 1972) हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा-सम्पन्न लेखक थे जिन्होंने मात्र सैंतालीस वर्षों के जीवनकाल में अनेक स्मरणीय नाटक, उपन्यास और कहानियों की रचना की। उनका नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ हिन्दी साहित्य का पहला आधुनिक नाटक माना जाता है। 1947 के बाद हिन्दी साहित्य के फलक पर उभर..
जागरूक व चिन्तनशील कवि सियारामशरण गुप्त के समग्र काव्य में जीवन के करुणाभाव, सहजता और यथार्थ, देशप्रेम, समाज की वास्तविकता इत्यादि को बड़ी सजीवता से प्रस्तुत किया गया है। जीवन के प्रति करुणा का भाव सहज और यथार्थ रूप में आप द्वारा रचित साहित्य में देखा जा सकता है। गुप्त जी के काव्य में तत्कालीन समाज ..
इस ग्रन्थ में जयशंकर प्रसाद के सम्पूर्ण नाट्य साहित्य को संगृहीत किया गया है जिनमें उनके चर्चित और बहुमंचित पूर्णकालिक नाटकों के अलावा उनकी एकांकी रचनाएँ भी शामिल हैं।हिन्दी नाटक-साहित्य में प्रसाद जी का एक विशिष्ट स्थान है। इतिहास, पुराण कथा और अर्द्ध-मिथकीय वस्तु के भीतर से प्रसाद ने राष्ट्रीय ..
इस पुस्तक में छायावादी युग के महत्त्वपूर्ण कवि, कहानीकार, नाटककार और उपन्यासकार जयशंकर प्रसाद के तीनों उपन्यास—‘कंकाल’, ‘तितली’ और ‘इरावती’ संकलित किए गए हैं। भारतेन्दु के बाद जिन लोगों ने हिन्दी गद्य को एक परिपक्व रूप दिया उनमें प्रसाद की भूमिका भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।उनकी सांस्कृतिक अभिरुचि,..