अंतरिक्ष तथा ब्रह्मांड वस्तुत : एक ही शब्द के भिन्न-भिन्न रूप हैं, जिनसे उस असीम- अनंत सत्ता का बोध होता है, जिसे ' नेति-नेति ' कहा गया है । जहाँ मनुष्य की आँखें नहीं देख पातीं, जहाँ दूरबीन भी विफल हो जाती है-वह आकाश अंतरिक्ष है । वह अपरिमित, अनंत और असीम है । वह अनेक कल्पनाओं से भरा हुआ क्षेत्र है ..
इक्कीसवीं सदी पूर्णत: विज्ञान की सदी है। विज्ञान के क्षेत्र में अनेकानेक अन्वेषण हो रहे हैं। अंतरिक्ष अन्वेषण अब एक महत्त्वपूर्ण विषय बन गया है। इस क्षेत्र में आज तक ब्रह्मांड के अनेक पिंडों—सूर्य, बुध, शुक्र, पृथ्वी का चंद्रमा, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेप्चून, प्लेटो तथा अन्य अनेक क्षुद्र ग्रह..
प्रसिद्ध साहित्यकार वैद्य गुरुदत्त ने अपने ' अंतरिक्ष में ' उपन्यास में कल्पना की है कि रात का अँधेरा दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा चंद्रमा बनाया, जो रात भर सूर्य जैसा, पर शीतल, उजाला देता है । यह कल्पना अभी तक तो फलीभूत नहीं हुई; लेकिन संभव है, अगले कुछ दशकों में आदमी चंद्रमा की सैर के लिए ..
संख्याओं के तिलिस्म का नाम ही गणित है । इस तिलिस्म (मायाजाल) में फँसे व्यक्ति को यह विषय नीरस प्रतीत होता है; परंतु इस तिलिस्म का रहस्य पता चलने पर उसे यह बहुत ही रोचक लगने लगता है । प्रस्तुत पुस्तक में दैनिक जीवन से संबंधित कुछ रहस्यमयी समस्याओं के समाधान देकर गणित के प्रति रुचि उत्पन्न करने का प..
गणित को सामान्यतः लोग एक नीरस विषय मानते हैं, क्योंकि गणित के आधारभूत नियमों और सूत्रों की जानकारी के अभाव में गणित को समझना काफी कठिन होता है; साथ ही गणित को समझने में सूझ एवं तर्कशक्ति की परम आवश्यकता होती है। अतः मस्तिष्क पर दबाव डालना पड़ता है। जिनके पास सूझ, तर्कशक्ति एवं अच्छी स्मरण-शक्ति है, ..
आज दुनिया में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिलेगा, जो प्लास्टिक के पदार्थों को न जानता हो । गत पचास-साठ वर्षों से अनेक देशों में प्लास्टिक के पदार्थों का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है । किंतु आम आदमी इन सभी पदार्थों को प्लास्टिक ही कहता है । प्लास्टिक पदार्थों के कई रूप हैं; जैसेकि पॉलिइथिलीन, पाल..
फारसी लोककथा के अनुसार पृथ्वी की आयु 12,000 वर्ष; बैबीलोन ज्योतिषियों के अनुसार 20 लाख वर्ष; बाइबल के अनुसार 6,000 वर्ष बताई गई है । आर्क बिशप उशर का मत था कि पृथ्वी का जन्म 4004 ई. पू प्रात: 9.00 बजे हुआ! आधुनिक अनुसंधानों से सिद्ध हो चुका है कि हमारे ग्रह पृथ्वी की आयु 40,000 लाख वर्ष है ।
पृथ्वी..
बहुत पुराने समय से ही पारे से सोना बनाने के 'प्रयास किए जाते रहे हैं । ऐसा प्रयास करनेवालों को कीमियागिर तथा इस विज्ञान को कीमियागिरी कहा जाता था । इसी को रसायनशास्त्र भी कहा जाता है । आयुर्वेद में इसे रसशास्त्र नाम से जाना जाता है ।
मानव-जीवन का कोई भी ऐसा पक्ष नहीं है, जिसमें रसायन विज्ञान का अं..
आज यह विश्वास करना कठिन है कि केवल दो सौ वर्ष पहले तक पृथ्वी का एक पूरा महाद्वीप केवल कल्पनाओं और गल्प- कथाओं तक सीमित था। इस काल्पनिक महाद्वीप को ‘अंटार्कटिका’ का नाम दिया गया; ‘अंटार्कटिक’ शब्द का अर्थ है—‘एंटी-अंटार्कटिक’, यानी आर्कटिक के विपरीत। अगर आप ग्लोब उठाकर देखें तो उसके सबसे निचले भाग म..
रॉकेट के विकास ने अंतरिक्ष अन्वेषण कार्य के लिए महान् संभावनाओं का रास्ता खोल दिया है। प्रायोगिक रूप में लाने के पहले रॉकेटों का प्रयोग अंतरिक्ष परिवहन के रूप में वैज्ञानिक दंत-कथाओं में भी काफी किया जा चुका है। प्रारंभ में रॉकेटों का उपयोग युद्धों में अस्त्रों व मिसाइलों के रूप में हुआ और समारोहो..
अंतरिक्ष सदैव ही मानव के लिए रहस्यमय रहा है और अंतरिक्ष विज्ञान भी उतना ही प्राचीन है जितना कि स्वयं मानव।
भारत ने सर्वप्रथम 19 अप्रैल, 1975 को ‘आर्यभट्ट’ नामक उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। उस समय अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में भारत का स्थान विश्व में 11वाँ था, जो कि संप्रति छठे स्थान पर जा पहु..