प्रस्तुत पुस्तक भारतेन्दु से लेकर समसामयिक कविता तक में विद्यमान नए पाठ की सम्भावना का सन्धान करते हुए उसका वस्तुनिष्ठ एवं गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। इसमें ‘भारतेन्दु का काव्यदर्शन’, ‘शलाकापुरुष महावीर प्रसाद द्विवेदी की नारी चेतना’, ‘साकेत की उर्मिला का पुनर्पाठ’, ‘गुप्त जी की कैकेयी का नूतन प..
आज़ादी के साथ ही हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता का जो जख़्म देश के दिल में घर कर गया वो समय के साथ मिटने के बजाय रह-रहकर टीसता रहता है। इसे सींचते हैं दोनों सम्प्रदायों के तथाकथित रहनुमा। अफ़वाहों, भ्रान्तियों को हवा देकर साम्प्रदायिकता की आग भड़काई जाती है और उस पर सेंकी जाती है स्वार्थ की रोटी। चन्द ग..
"पुस्तक पुस्तक उस बालक की कहानी है, जिसने जीवन में संघर्ष को उत्सव और उत्कर्ष का सोपान बनाने का प्रयत्न किया। बुंदेलखंड के पिछड़े क्षेत्र में साधारण किसान परिवार में जनमे इस बालक ने अभावों में अपनी भाव-भंगिमा को ईश्वर के सहारे सार्थकता से युक्त रखा।
श्रीमद्भगवद्गीता, उसमें दिए गए ध्यान के प्रयोग उस..
महत्त्वपूर्ण कथाकार अवधेश प्रीत का यह उपन्यास बिहार के कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षण-परिवेश को उजागर करता है कि किस तरह प्राध्यापक अपनी अतिरिक्त आय के लिए कोचिंग का व्यवसाय कर रहे हैं। इसके पार्श्व में छात्र-राजनीति का भी खुलासा होता है—छात्रों की उच्छृंखलता, अनुशासनहीनता और भ्रष्टता से उपजे सवाल..
A case of Aids is a war, a fierce Battle between Hiv and the treating physician, a battle that he never dreamt of, and one that he never witnessed. This is manifested by the fact that though of Founder of Homoeopathy Dr. Christian Friedrich Samuel HahneContents1. AIDS What it is — Pgs. 132. ..
A case of AIDS is a war, a fierce battle between HIV and the treating physician, a battle that he never dreamt of, and one that he never witnessed.
This is manifested by the fact that though the Founder of Homoeopathy Dr. Christian Friedrich Samuel Hahnemann wrote six volumes on Organon of Medicine..
कुन्दन यादव की इन कहानियों में बनारस बोलता है। ये कहानियाँ लिखी ही इसलिए और इस तरह गई हैं कि आप इन्हें सनें। कुन्दन को बनारस की ज़िन्दगी के कुछ पहलुओं की, वहाँ के कुछ लोगों की दास्तान कहनी है। इरादा सुनाने का ही है, लिखे को खामखाह चमकाने या सजाने का नहीं।
ठेठ बनारसी ठाठ के हँसमुख अन्दाज़ में कही गई ..
मैं क्या हूँ और क्या बन सकता हूँ? वे कौन लोग थे जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपना-अपना विशिष्ट योगदान देकर मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा की? कैसे मैं इस मायावी संसार में दिग्भ्रमित हुए बिना अग्रसर हो सकता हूँ? कैसे मैं दैनिक जीवन में होनेवाले तनाव पर काबू पा सकता हूँ?
ऐसे अनेक प्रश्न छात्र तथा विभि..
मैं क्या हूँ और क्या बन सकता हूँ? वे कौन लोग थे जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपना-अपना विशिष्ट योगदान देकर मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा की? कैसे मैं इस मायावी संसार में दिग्भ्रमित हुए बिना अग्रसर हो सकता हूँ? कैसे मैं दैनिक जीवन में होनेवाले तनाव पर काबू पा सकता हूँ?
ऐसे अनेक प्रश्न छात्र तथा विभि..
किसी भी स्वप्न को साकार करने के लिए मनुष्य को यह विश्वास करना पड़ेगा कि असंभव को पार किया जा सकता है। श्रद्धा उपलब्धि की पहली आवश्यकता है और उस श्रद्धा को अटल बनाए रखना दूसरी आवश्यकता। जब आप श्रद्धा से आगे बढ़ते हैं तो आप भविष्य में कदम रख देते हैं। यह सिद्धांत अत्यंत प्रभावकारी है, यदि मनुष्य उद्दे..
अनुसन्धान, सिद्धान्त-निरूपण, पांडित्यपूर्ण-अध्ययन, साहित्येतिहास आदि आलोचना के लिए उपयोगी हो सकते हैं, ख़ुद आलोचना नहीं हो सकते। आलोचना के इस वास्तविक स्वरूप का उद्घाटन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल बहुत पहले कर चुके थे।आलोचना का सही सन्दर्भ और उसकी सार्थकता की सच्ची कसौटी रचना ही हो सकती है और होती है। ..