वैशाली की नगरवधू, वयं रक्षामः, सोमनाथ, धर्मपुत्र और सोना और खून जैसे हिन्दी के क्लासिक उपन्यासों के लेखक आचार्य चतुरसेन की यह पुस्तक वैवाहिक जीवन में यौन-संबंधों के विषय पर केंद्रित है। विवाह के बाद दंपति दो अलग-अलग रिश्तों में बंध जाते हैं; एक रिश्ता पति-पत्नी का जो पारिवारिक और सामाजिक संबंधों पर ..
रस्किन बाॅन्ड ने एक बार कहा था कि वे भूत-प्रेत में विश्वास नहीं करते लेकिन उनको हर समय, हर जगह भूत नज़र आते -जंगल में, सिनेमा के बाहर भीड़ में और बार में। पिछले पाँच दशकों में लिखी उनकी सभी अलौकिक कहानियाँ इस पुस्तक में संकलित हैं। पहली कहानी शिमला के बाहर चीड़ के जंगल की पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है। आखि..
विष्णुभट्ट गोडशे द्वारा लिखा 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का एकमात्र आँखों देखा विवरण और प्रसिद्ध हिन्दी कथाकार अमृतलाल नागर का उतना ही सरल और सटीक अनुवाद। पुस्तक की घटनाएं चित्रपट की तरह एक सूत्र में बंधी हुई आगे बढ़ती हैं। हर दृश्य, हर घटना का वर्णन इतना मार्मिक, रोमांचक और जीवंत है कि पाठक उसमें आक..
साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार हरिशंकर परसाई हिन्दी के सबसे समर्थ व्यंग्यकार हैं। पैनी दृष्टि और चुटीली भाषा उनके अचूक औज़ार हैं। जीवन, समाज और राजनीति में व्याप्त सभी बीमारियों और बुराइयों की पहचान वे किसी कुशल ‘सर्जन’ की तरह करते हैं। ‘अपनी-अपनी बीमारी’ की व्यंग्यपरक कहानियों में कुछ ऐ..
‘‘ ‘साहित्यिक’ दृष्टि से यह उपन्यास चौकाने वाला ही कहा जाएगा। लेकिन है यह बहुत ज़्यादा पठनीय-पाठक इसके पृष्ठ उलटता ही चला जाएगा। यह एक ऐसे अकेले, भले आदमी की कहानी है जो सेक्स की तलाश में भटक रहा है। इस दृष्टि से उपन्यास बहुत सफल है। आश्चर्य ही होता है कि प्रतिभाशाली लेखकों से भरे इस देश में सेक्स क..
आज़ादी क्या है? मुक्ति क्या, क्यों, किस-किस से और कैसे! प्रो. लालबहादुर वर्मा ने अपनी इस अनंतिम किताब में अपनी अध्ययन और अध्ययन सम्पन्न दृष्टि से इन सवालों की दार्शनिक और समयानुकूल पड़ताल की है। सिर्फ़ राजनीतिक आज़ादी से आगे मनुष्य के रोज़-ब-रोज़ के निजी जीवन में मुक्ति के सवालों की संघर्ष-गाथा गरीब..