इस पुस्तक में 100 CC बाइक से अकेले भोपाल से भोपाल के बीच 3850 किलोमीटर के सफर को बताया गया है, जो 12 दिन में पूरा हुआ। इस दौरान लेखक का भारत के सात राज्यों—मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान और एक केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ में जाना हुआ। इस सफर के दौरान ए..
कोरोना के कारण 2020 में घोषित लॉकडाउन ने करोड़ों भारतीयों को अकल्पनीय त्रासदी का सामना करने के लिए विवश कर दिया। नगरों-महानगरों में कल-कारखानों पर ताले लटक गए; काम-धन्धे रुक गए और दर-दुकानें बन्द हो गईं। इससे मजदूर एक झटके में बेरोजगार, बेसहारा हो गए। मजबूरन उन्हें अपने गाँवों का रुख करना पड़ा। उनका य..
सन् 1857 के विद्रोह का क्षेत्र विशाल और विविध था। आज़ादी की इस लड़ाई में विभिन्न वर्गों, जातियों, धर्मों और समुदाय के लोगों ने जितने बड़े पैमाने पर अपनी आहुति दी, उसकी मिसाल तो विश्व इतिहास में भी कम ही मिलेगी। इस महाविद्रोह को विश्व के समक्ष, उसके सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने का महत् कार्य कार्ल..
सभी वैज्ञानिक विषयों का मूल भौतिकी है, इसी से जैव-भौतिकी, रसायन-भौतिकी और आनुवंशिकी जैसी विज्ञान-सरणियों का उदय हुआ। भौतिक तकनीकी से ही लेसर और कम्प्यूटर जैसे साधनों की खोज हुई। कहा जाता है कि व्यापक आपेक्षिकता का सिद्धान्त आज तक का सबसे सुन्दर सिद्धान्त रहा है।आइंस्टाइन के इस क्रान्तिकारी सिद्धान..
अथक अध्ययन और शोध के परिणामस्वरूप एम.एन. श्रीनिवास के निबन्ध आकार ग्रहण करते हैं। भारतीय समाज की नब्ज़ पर उनकी पकड़ गहरी और मज़बूत है। उनके लेखन में इतिहास और बुद्धि का बोझिलपन नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक में संगृहीत निबन्धों में समाजशास्त्र व नृतत्त्वशास्त्र विषयक समस्याओं के व्यावहारिक पक्षों पर रोशनी ड..
भारत के प्रमुख समाज एवं नृ-विज्ञानवेत्ता एम.एन. श्रीनिवास की यह महत्त्वपूर्ण कृति विश्व-कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर-स्मृति-भाषणमाला के सारभूत तत्त्वों पर आधारित है। आधुनिक भारतीयता के सन्दर्भ में रवीन्द्रनाथ ठाकुर की विचारक के रूप में एक अलग महत्ता है। अपनी अमरीकी और यूरोपीय यात्राओं के दौरान विश्वकवि ने..
आधुनिक हिंदी कविता में बिम्बविधान का यह नया संस्करण एक ऐसे साहित्यिक दौर में प्रकाशित हो रहा है, जब बिम्ब हिन्दी काव्यालोचन का स्वीकृत शब्द बन चुका है। परन्तु जिस समय (लगभग छठे दशक के अन्त में) यह शोधकार्य सम्पन्न हुआ था, उस समय तक हिन्दी में बिम्ब-विचार की कोई सुस्पष्ट परम्परा नहीं बन सकी थी। यह पु..
भारत में आधुनिक विज्ञान का नक़्शा बनाने में हिन्दुओं से ज़्यादा मुसलमानों और मुसलमानों से ज़्यादा भूमिका अंग्रेज़ों की रही। आज़ादी के पूर्व से ही भारत जात-पाँत और ऊँच-नीच के दलदल में फँसा हुआ है। आधुनिक भारतीय इतिहास पर भारत में जितनी पुस्तकें लिखी गईं, उनमें से अधिकांश के लेखक हिन्दू रहे। उनके द्वा..
यशस्वी कथाकार-सम्पादक राजेन्द्र यादव की इस किताब में स्त्रियों की मुक्ति की राह में मौजूद अनगिनत गुत्थियों पर लिखे लेखों में अनेक कोणों से विचार किया गया है। बीते लगभग चार दशकों में विभिन्न विचारोत्तेजक मसलों पर स्त्रियों के पक्ष में दी गई दलीलों के साथ-साथ इन लेखों में बार-बार उन पेचीदगियों की तरफ़..
यह धर्म-कर्म के बल पर अन्तत: स्वर्ग पहुँच गए आदमी की कथा है। वही धर्म-कर्म जिससे हम सब परिचित हैं, यानी अपने स्वार्थों की अमानवीय होने की हद तक हिफ़ाज़त करते हुए पूजा-पाठ का अटूट पालन; आदमी भी वही जिसे हमने अपनी 'सबसे प्राचीन सभ्यता' के काई-शैवाल को छानकर निकाला है, यानी अन्तर्तम से निहायत धर्मविरोध..