मानवाधिकारों की अवधारणा वर्तमान सामाजिक विमर्शों में एक महत्त्वपूर्ण तथा सार्वदेशिक मूल्य का स्थान रखती है। 1215 ई. में पारित मैग्नाकार्टा के आरम्भिक स्वरूप से चलकर आज यह अवधारणा मौजूदा विश्व–सभ्यता का ठोस घटक बन चुकी है। इस पुस्तक का उद्देश्य भारतीय संस्कृति में इस घटक की पहचान करना और यह देखना है ..