भारत की प्रथम महिलाएँ—आशा रानी व्होरादूसरों की बनाई राह पर तो सभी चलते हैं। परंपराओं की गिट्टियाँ तोड़, रूढ़ियों के काँटे बीनते हुए नई पगडंडी तैयार करना सचमुच बड़े साहस और जोखिम का काम होता है। भारतीय नारी की मुक्ति और उसे वर्तमान स्तर पर लाने के लिए न जाने कितनी स्त्रियों ने यह जोखिम उठाया है। ए..
राजनीति, कला, खेल-कूद, विज्ञान, समाज-सेवा सभी क्षेत्रों में भारत की महिलाओं ने अपने योगदान की अनूठी छाप छोड़ी है। इंदिरा गांधी से इंदिरा नूयी तक, सरोजिनी नायडू से सायना नेहवाल तक, कमला देवी चट्टोपाध्याय से कल्पना चावला तक, अरुणा आसफ़ अली से अरुणा राय तक, ये सभी भारतीय महिलाएं अपने अलग-अलग कार्यक्षेत्र..
मध्यकालीन इतिहास के अध्ययन, अध्यापन, शोध से 33 वर्षों के अधिक के जुड़ाव के कारण, इस काल के इतिहास से भली-भाँति वाक़िफ़ हैं अतः, ऐतिहासिक शोध के साथ लिखी गई कुछ कहानियों के माध्यम से चयनित महिला पात्रों की भूमिका के साथ उन्होंने न्याय करने के प्रयास में, इस संकलन की आवश्यकता महसूस की। इसमें प्रसिद्ध ..
प्राचीनकाल से नारी को सर्जनात्मक शक्ति का प्रतीक माना जाता रहा है। सम्भवतः इसीलिए प्रकृति की कल्पना भी नारी रूप में ही की गई है। स्त्री का सहजबोध, उसकी जिजीविषा और रचनात्मकता उसे पुरुष से श्रेष्ठ नहीं तो उसके बराबर तो बना ही देती है।फिर भी यह आश्चर्यजनक है कि प्राचीनकाल में रानियाँ हुईं, वीरांगनाए..
यह समय ‘अस्मिता विमर्श’ का है। विमर्श सचेत करते हैं अधिकारों और दायित्वों के प्रति। विभिन्न स्तरों पर जारी ‘स्त्री विमर्श’ ने स्त्रियों से जुड़े अनेक सवालों को मुखर और प्रखर किया है। स्त्रियाँ स्वतंत्रता, सम्मान, समता और सहभागिता के लिए निरन्तर संघर्ष कर रही हैं। इस सन्दर्भ में यह जानना ज़रूरी हो जा..
-लेखन में बीसवीं सदी से आज तक का समय यदि एक प्रस्थान-बिन्दु के रूप में लिया जाए तो यह स्पष्ट है कि इन सौ वर्षों में स्त्रियों की लेखनी में सबसे अधिक परिवर्तन की प्रक्रिया दिखी। पुरुष-लेखन में मात्र एक पात्र होने की भूमिका से निकलकर स्त्री-लेखक ने स्वयं अपनी क़लम से अस्तित्व, व्यक्तित्व और विचार को अभ..
स्त्री जागरण, नव जागरण, पुनर्जागरण जैसे शब्द एवं विचार मूलतः विदेशी शब्दों के हिंदी अनुवाद और विदेशी विचार हैं।
भारतीय संस्कृति में, सभ्यता में, अध्यात्म और दर्शन में तो स्त्री परंपरागत रूप से जाग्रत् और सशक्त रही है। हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में स्त्रियों की सहभागिता स्वतंत्रता से पूर्व तो थ..
महिलाओँ की संख्या विश्व की जनसंख्या से लगभग आधी है। उनके उन्नयन के बिना परिवार, समाज व राष्ट्र की प्रगति सम्भव नहीं है। आज वे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यताओं एवं क्षमताओं को उजागर कर रही हैं, जागरूकता एवं आत्मनिर्भरता की ओर उन्मुख हैं। पहले की अपेक्षा उनकी स्थिति में सुधार हुआ है, अधिकारों एवं ..
समकालीन रचना जगत् में अपने मौलिक और प्रखर लेखन से हिन्दी साहित्य की शीर्ष पंक्ति में अपनी जगह बनाती, स्थापित और सम्भावनाशील महिला कथाकारों की रचनाओं का यह संकलन नई सदी की पहचान है। श्रेष्ठ महिला कथाकार लेखन आज का उत्कृष्ट मानचित्र है जिसमें कहानियों के सोपान खुलकर सामने आते हैं।इस संकलन में रचनाका..
नोबेल पुरस्कार विश्व में सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार माना जाता है, जो प्रतिवर्ष अलग-अलग छह कार्यक्षेत्रों में विशिष्ट और योग्य व्यक्तियों को दिया जाता है। नोबेल पुरस्कार देने का आरम्भ 1901 में हुआ था और पहले ही वर्ष में मेरी क्यूरी को भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ और फिर 1911 में मेरी क्य..
पुस्तक के बारे में
प्रस्तुत पुस्तक कार्यालय महानिदेशक, पुलिस, राजस्थान, जयपुर द्वारा राजस्थान पुलिस कांस्टेबल की भर्ती परीक्षा हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार लिखी गई है | प्रायः इस विषय पर कम ही पुस्तकें उपलब्ध हैं. इसमें बाल एवं महिला अपराधों तथा उनसे संबंधी कानूनों पर विस्तृत सामग्री दी गई ह..
हमारी प्राचीन संस्कृति में स्त्रियों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। उन्हें शक्ति और गौरव का प्रतिरूप माना गया है। 21वीं शताब्दी में भारत को एक युवा राष्ट्र माना जाता है और युवा भारत की महिलाएँ फैशन डिजाइनर, आंतरिक सज्जाकार, निर्यातक, प्रकाशक, वस्त्र निर्माता के रूप में उल्लेखनीय प्रगति क..