मानव की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आदि सभी चेतनाओं का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप लोकगीतों में समाहित रहता है। दरअसल ये लोकगीत हमारे वे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ हैं जिनमें साधारण से साधारण घटना को आम लोगों ने लोकगीतों के अन्दाज़ में सहजता से दर्ज किया है। अवधी, भोजपुरी, ब्रज, बुन..