नीतीश कुमार सन् 1974 में विश्वविद्यालय में पढ़नेवाले एक युवा ही थे, तभी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ पटना की सड़कों पर जनांदोलन शुरू हो गया। आंदोलन बढ़ता गया और देश भर में फैल गया। छात्र, राजनेता, मजदूर और पुराने राजा-महाराजा—सब आंदोलन में शामिल हो गए। इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर भारत ..
जैनेन्द्र कुमार हिन्दी के केवल मूर्धन्य कथाकार ही नहीं है अपितु प्रखर राष्ट्रवादी चिन्तक-विचारक भी है। वे हिन्दी भाषा में सोचने-विचारने वाले अन्यतम व्यावहारिक भारतीय दार्शनिक भी हैं तो भारत सहित वैश्विक राजनीति पर गहरी दृष्टि रखनेवाले प्रबुद्ध राजनैतिक विशेषज्ञ भी। वे स्वाधीनता आन्दोलन के तपोनिष्ठ स..
संस्कृत साहित्य में महाकवि दण्डी का विशिष्ट स्थान है। ‘दशकुमारचरित’ उनकी लोकप्रिय व प्रसिद्ध रचना है। इसमें दस कुमारों के माध्यम से उस समय के समाज के सभी वर्गों-राजमहलों से लेकर आम जन-जीवन तक का रोचकतापूर्ण विस्तृत वर्णन है। ‘दशकुमारचरित’ में यथार्थवाद अपनी अभिव्यक्ति में बहुत ही निर्मम बनकर उतरा है..
ईसा पूर्व छठी शताब्दी में आनंद-प्राप्ति की खोज व जिज्ञासा के कारण विश्व में ऐसा प्रबुद्ध वर्ग सामने आया, जिसने अपने पूर्वजों के विचारों से भिन्न नए-नए विचार प्रतिपादित किए। वस्तुतः ज्ञान की दृष्टि से यह ऐसा युगांतरकारी समय था, जब चीन में कन्फ्यूशियस और लाओ-त्से, फारस में जोरोस्त्र, यूनान में पाइथागो..
More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 40p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 13 X 0.5..
कमल कुमार की कहानियों का फलक विस्तृत है, पर वैचारिकी गहन है। ये कहानियाँ गहरे सराकारों की कहानियाँ हैं। इनकी कहानियों को पढ़ना स्त्री-जीवन से साक्षात् करना है। परिवार में पुरुष सत्ता की अदृश्य हिंसा, अन्याय और उत्पीड़न सहती विवश स्त्रियों हैं। ‘हम औरतें छतरियों की तरह होती हैं। तपती धूप और बारिश में..
प्रस्तुत कृति संस्कृत के अमर कवि कालिदास के ‘कुमारसंभव’ महाकाव्य के काव्यानुवाद का एक अभिनव प्रयास है।
‘कुमारसंभव’ का शाब्दिक अर्थ
है—‘कुमार का जन्म’। यहाँ ‘कुमार’ से आशय शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय से है। इस कृति के पीछे कवि का उद्देश्य है—शिव-पार्वती की तपस्या, प्रेम, विवाह और उनके पुत्र कुम..
‘चन्द्रकान्ता’ और ‘चन्द्रकान्ता सन्तति’—जैसी महान उपन्यासमाला के सुविख्यात रचनाकार देवकीनन्दन खत्री का एक और महत्त्वपूर्ण उपन्यास, जिसमें उन्होंने रहस्य-रोमांच से भरपूर अपनी सुपरिचित शैली में कुसुमकुमारी और रनबीरसिंह के प्रेम, विरह और मिलन की मुग्धकारी कथा को जीवन्त किया है। कुसुम और रनबीर दो राज्यो..
‘नीतीश कुमार और उभरता बिहार’ में वरिष्ठ पत्रकार अरुण सिन्हा ने विपरीत परिस्थितियों में बिहार का शासन सँभालने वाले नीतीश बाबू की उस कर्मठ एवं जुझारू कार्यशैली का बेबाक वर्णन किया है, जिसने बिहार को एक नई दिशा दी, एक नई पहचान दी। उन्होंने बिहार के सामाजिक और राजनीतिक परिवेश में नीतीश कुमार के उदय की ..
1990 के बाद कुमार अंबुज की कविता भाषा, शैली और विषय-वस्तु के स्तर पर इतना लम्बा डग भरती है कि उसे ‘क्वांटम जम्प’ ही कहा जा सकता है। उनकी कविताओं में इस देश की राजनीति, समाज और उसके करोड़ों मज़लूम नागरिकों के संकटग्रस्त अस्तित्व की अभिव्यक्ति है। वे सच्चे अर्थों में जनपक्ष, जनवाद और जन-प्रतिबद्धता की..
विनोद कुमार शुक्ल समकालीन कविता के संसार में आज ऐसे कवि के रूप में बहुप्रतिष्ठित हैं जिनकी कविता को बिना उनके नाम के भी जागरूक पाठक पहचान लेते हैं।उनकी कविता, कविता के तुमुल कोलाहल के बीच चुपचाप अपने सृजन में व्यस्त दिखती है। किसी भी तरह के दिखावे, छलावे, भुलावे से दूर अपनी राह का ख़ुद निर्माण करत..