भाषा शब्दों से बनती है। शब्दों के बारे में जानकारी व्याकरण देता है और उनके अर्थों का विवरण कोश प्रस्तुत करता है। इस प्रकार भाषा को जानने-समझने के लिए व्याकरण और कोश दो आधार माने जाते हैं। लेकिन भाषा का एक तीसरा महत्त्वपूर्ण आधार भी है—प्रयोग।भाषा के स्वाभाविक विकास की प्रक्रिया में नए-नए सन्दर्भों..
आज हिंदी की स्थिति लगभग वही है। स्वतंत्रता के बाद जो शब्दावली बनी है, बन रही है उससे हिंदी की सामर्थ्य स्वयंसिद्ध हो गई है। हिंदी का विस्तृत क्षेत्र जहाँ लोकभाषाओं से हिंदी को शब्दावली प्रदान कर रहा है वहाँ क्षेत्रीय भाषाओं के लेखक तथा प्रशासक भी हिंदी को नई अर्थ-व्यंजनाएँ प्रदान कर रहे है। समय ही इ..
अंग्रेज़ी-हिंदी .अभिव्यक्ति कोश हिंदी के प्रगामी प्रयोग के लिए राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय) बराबर जोर दे रहा है । इस प्रक्रिया को सुलभ व सरल बनाने के लिए और राजभाषा प्रेमियों की सुविधा के लिए केंद्र तथा राज्य स्तर पर अनेक महत्त्वपूर्ण शब्दकोशों का निर्माण किया गया है । ये सभी कोश शब्दों पर ही अधिक ..
मुहावरे और लोकोक्तियाँ प्रत्येक भाषा के प्राण होते है । इसीलिए किसी भाषा की समुचित जानकारी के लिए उसके मुहावरों और लोकोक्तियों की जानकारी नितांत आवश्यक है । अनेकानेक दृष्टियों से हिंदीभाषी प्रदेशों में ,विदेशी भाषा होते हुए भी, अंग्रेजी का अपना अलग महत्त्व है; और हिंदी में सर्वाधिक अनुवाद अंग्..
प्रमुख कोश
सं. बदरीनाथ कपूर
प्रभात वृहत् अंग्रेजी-हिंदी कोश
प्रभात व्यावहारिक अंग्रेजी-हिंदी कोश प्रभात व्यावहारिक हिंदी- अंग्रेजी कोश प्रभात विद्यार्थी अंग्रेजी-हिंदी कोश प्रभात विद्यार्थी हिंदी- अंग्रेजी कोश . सं. श्याम बहादुर वर्मा
बृहत् विश्व सूक्ति कोश (तीन खंड)
भोलानाथ तिवारी
चित्रमय ..
भारत के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी द्वारा भारत के आर्थिक इतिहास में महत्त्वपूर्ण पलों का व्यावहारिक विश्लेषण और भावी वैश्विक संकट के समाधान का निर्णय कर सकनेवाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में बहुपक्षीयता का भविष्य।
यह पुस्तक वी. श्रीनिवास भारत सरकार के विशिष्ट अपर सचिव, कार्यकारी निदेशक, अंतरराष्ट्रीय..
हिन्दी में अर्थशास्त्र की मानक शब्दावली को परिभाषित और व्याख्यायित करता अपने तरह का पहला कोश है—‘अर्थशास्त्र परिभाषा कोश’, जिसे गहन अध्ययन-मनन के पश्चात् ख्यात शिक्षाविद् सुदर्शन कुमार कपूर ने परिश्रमपूर्वक तैयार किया है।उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए तमाम सरकारी शैक्षिक संस्थानों द्वारा प..
‘अरविंद सहज समान्तर कोश’ शब्दकोश भी है और थिसारस भी! किसी भी समर्थ भाषा की समृद्धि का सूचक उसका शब्दकोश होता है। जहाँ भाषा की शब्द-सम्पदा को वैज्ञानिक विधि से व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस दृष्टि से यह कोश अपनी तरह का पहला ऐसा शब्द-भंडार है जो प्रकृति से तो थिसारस है किन्तु जिसका विन्य..
भारतीय चरित कोश' में वैदिक काल से लेकर आधुनिक समय तक के महत्वपूर्ण व्यक्तियों का परिचय है। इसमें संबंधित अनेक व्यक्तियों के चित्र भी दिये गये है। धर्म, दर्शन, विज्ञान, साहित्य, कला, उद्योग, इतिहास और मिथक आदि के साथ साथ खेल, सिनेमा, नाटक, संगीत, पत्रकारिता तथा अन्य राष्ट्रीय तथा सामाजिक सदनों से जुड..
यह ग्रंथ भारतीय संस्कृति का विश्वकोश (एनसाइक्लोपीडिया) है। इस कोश में हज़ारों प्रविष्टियाँ हैं जो हमारी संस्कृति, साहित्य, दर्शन, इतिहास, वाड्मय, कला, ज्योतिष, अध्यात्म, गणित, खगोल आदि अनेक विषयों पर प्रकाश डालती हैं। वेदों से लेकर अधुनातन महाकाव्यों तक में भारतीय संस्कृति के अनेकों पात्र एवं घटनाएं ..
नाटक और रंगकर्म की सन्दर्भ सामग्री के रूप में यह रंगकोश एक नई पहल है। इसके पहले खंड में हिन्दी में मंचित नाटकों का इतिहास संकलित है। कब किसने किस नाटक को निर्देशित किया, नाटक किसका लिखा हुआ है, और उसे किस दल ने मंच पर उतारा, आदि-आदि ब्योरों से सम्बन्धित यह कोश सहज ही हमें नाट्य-लेखन और रंगकर्म के इत..