जीवन-प्रेमियों के लिए अध्यात्म-विज्ञान
जीवन कितना अमूल्य और दुर्लभ है,
हमारी समझ में क्यों आता नहीं?जीवन जीने की अभीप्सा एवं अभिलाषा,
हमारे भीतर क्यों प्रज्वलित होती नहीं?हमारे जीवन की बागडोर किसके हाथ में है,
यह ज्ञान कोई हमें क्यों देता नहीं?अध्यात्म के बिना जीवन निरर्थक है,
कोई हमें यह..
स्त्रियों के योगदान का जश्न मनानेवाले पुरुष-विमर्श में आमतौर पर यह कहने का चलन रहा है कि स्त्रियाँ कोमल लताओं-सी हैं जो अपनी नाज़ुक पत्तियाँ किसी ऐसे विशाल वृक्ष के तने के गिर्द लपेटती ऊपर चढ़ती हैं, जो उनके जीवन का पुरुष हो, चाहे वह पुरुष पिता हो, पति हो या फिर मार्गदर्शक। पर हमने पाया कि इस बिम्ब ..
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविध पर्यटक आकर्षण, कई धार्मिक तीर्थ केंद्रों का घर तथा कई बड़ी पवित्र नदियों का समागम है भारत। वर्षों से इसकी संस्कृति अलग, अनोखी एवं अद्वितीय रही है। बहुधार्मिक, बहुभाषी तथा पारंपरिक भारतीय पारिवारिक मूल्यों से सम्मिलित इस देश को रचनाकार आदर से प्रणाम करते हैं। लेखक को भ..
आज़ादी इन्सान का सबसे बड़ा सपना रही है। लेकिन आज़ादी के मायने क्या हैं? आज़ादी और ज़िम्मेदारी का सह-संबंध क्या है? जो कुछ हमने जाना है, अनुभव किया है, जो धारणाएं हमने संजो रखी हैं, जो शास्त्र-प्रमाण हमने अपने भीतर गढ़ लिए हैं, क्या उस सबसे आज़ाद हुए बिना सृजन संभव है? ‘आज़ादी की खोज’ इन्हीं प्रश्नों..
भारतीय धर्म ग्रंथ यह स्पष्ट संदेश देते हैं कि आधुनिक इतिहासकार जिन्हें भारतीय आर्य कहते हैं वे प्रथमत: हिमालय के उस पार के पर्वतीय अंचल में रहते थे। सीमित संसाधन और बढ़ते जन-घनत्व के कारण यहाँ के लोग हिमालय के इस पार आने और बसने लगे। ये लोग मुख्य रूप से दो शाखाओं में बँटकर दो भिन्न कालों में आये। एक ..
‘दूसरी परम्परा की खोज’ में नामवर सिंह आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के माध्यम से भारतीय संस्कृति और साहित्य की उस लोकोन्मुखी क्रान्तिकारी परम्परा को खोजने का सर्जनात्मक प्रयास करते हैं जो कबीर के विद्रोह के साथ ही सूरदास के माधुर्य और कालिदास के लालित्य से रंगारंग है।आठ अध्यायों वाली इस पुस्तक के प्..
‘हिन्दू धर्म : जीवन में सनातन की खोज’ पुस्तक में हिन्दू धर्म-दर्शन पर विवेचनापूर्ण विचारों का संकलन किया गया है। इसमें हिन्दू धर्म की व्याख्या नहीं है, बल्कि विद्यानिवास जी के भीतर उमड़ रही सोच की साफ़-सुथरी अभिव्यक्ति है। सनातनता का हिन्दू धर्म के सन्दर्भ में यहाँ परम्परागत अर्थ नहीं है। यह तो एक खोज..
फ्रांस में जब यह औपन्यासिक यात्रा-वृत्तांत प्रकाशित हुआ तो इसकी बहुत सराहना हुई। यह कृति लेखक की आन्तरिक और बाहरी दुनिया के विलय का अभूतपूर्व चित्र प्रस्तुत करती है।बाद में लेखक ने स्वयं ही इस पुस्तक को एक फ़िल्म में रूपान्तरित किया जो कि 40 देशों में दिखाई गई तथा फ्रांस और इंग्लैंड के सिनेमाघरों ..
यह पुस्तक २१ वीं सदी की बदलती हुई सभ्यता , संस्कृति और प्रकृति के द्वन्द्व का आलोचनात्मक रचाव है । इस समयावधि की सामाजिक , राजनीतिक एवं सांस्कृतिक हलचल हिलोरों को जितनी प्रामाणिकता के साथ यहाँ प्रस्तुत किया गया है , वह बहुत महत्त्वपूर्ण और अलग है । इसमें जीवन, समाज, देश और प्रकृति को यथार्थवादी दृष्..