आमतौर पर माना जाता है कि सभी वैज्ञानिक खोजें और आविष्कार आदि यूरोप की ही देन हैं। लेकिन यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है, यह पुस्तक बताती है कि जिन सिद्धान्तों और जिज्ञासाओं को लेकर पश्चिमी दुनिया ने बाद में जाकर अनेक आविष्कार और खोजें कीं, उनका बीज एशिया में पहले ही पड़ चुका था, और उस सम्बन्ध में वैज्..
‘पिता की आँख में परायी औरत’, ‘उधारीलाल’, ‘स्कूटर’ और ‘मुझ नातवाँ के बारे में : पाँच प्रेम कविताएँ’ इस संग्रह में शामिल ये कुछ ही कविताएँ पवन करण के कवि की गहराई और ऊँचाई, दोनों का प्रमाण दे देती हैं। ये कविताएँ एक व्यक्ति के रूप में उनकी विस्तृत चेतना और कवि के रूप में उस चेतना को शब्दों में बाँधने,..
कैकेयी की कथा श्रेष्ठ मूल्यों से बिछलने की कथा है। जब यशस्वी मनुष्य स्वार्थवश अपने आचरण को संकुचित करता है तब जीवन में उत्पात और उपद्रव की सृष्टि होती है। इसीलिए बार-बार हमारे धर्म-ग्रन्थों ने दोहराया है कि उच्च पदस्थ व्यक्ति को अनिवार्यत: सदाचार करना चाहिए। जिस पथ पर श्रेष्ठ जन चलते हैं वही मार..
यदि डॉ. रामविलास शर्मा के एक वाक्य का संशोधित इस्तेमाल करें तो कह सकते हैं, ‘राजेन्द्र यादव सीमित अर्थ में साहित्यकार न थे। अपने लम्बे रचनात्मक जीवन में राजेन्द्र यादव ने कहानी व उपन्यास के अतिरिक्त अन्य विधाओं में भी अपनी छाप छोड़ी। विमर्श, आलोचना, संस्मरण आदि के क्ष्रेत्र में उनकी मौलिकता का अनुभव ..
‘आवार भीड़ के खतरे’ पुस्तक हिन्दी के अन्यतम व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के निधन के बाद उनके असंकलित और कुछेक अप्रकाशित व्यंग्य-निबन्धों का एकमात्र संकलन है। अपनी कलम से जीवन ही जीवन छलकानेवाले इस लेखक की मृत्यु खुद में एक महत्त्वहीन-सी घटना बन गई लगती है। शायद ही हिन्दी साहित्य की किसी अन्य हस्ती ने सा..
राम के चरित्र में भगवान् राम का व्यक्ति के रूप में और उनके व्यक्तित्व के संदर्भ में केवल दो नहीं, व्यासकमर्ी लेखक ने कई आँखों से निरीक्षण-दर्शन किया है। राम के बारे में वसिष्ठ की दृष्ट, विश्वामत्र का नजरिया, जनक-सुनयना-जानकी, पुरवासी, महाराज दशरथ, कौशल्यादि माताएँ, भरतादि भाई, निष्द समुदाय, गिद्धराज..
यह पुस्तक मानव स्वतंत्रता का एक अध्ययन है। इस स्वतंत्रता सम्बन्धी विचार का विकास विभिन्न मुद्दों को लेकर चल रहे संघर्षों और उनके संस्थानीकरण से हुआ है। प्रारम्भ बिन्दु तो वह विचार ही है जो यह बतलाता है कि आज़ादी जीवन का एक आधारभूत सिद्धान्त है, इसलिए यह मनुष्य के लिए बिलकुल नैसर्गिक चीज़ है, इसे दबा..
महानगर हो या शहर जब घर के भीतर बागबानी की बात आती है तो मन अचरज से भर जाता है। कारण, आज की व्यवस्था में आबादी का फैलाव इस तरह हुआ है कि खुला स्थान, वाटिका और उद्यान तो एक सपना ही बनता जा रहा है। जो लोग दो-तीन कमरों के फ़्लैटों में रह रहे हैं, खुले स्थान के नाम पर एक छोटी सी बालकनी, बरामदा या फिर भाग..
जैसे-जैसे भौतिकवाद की चकाचौंध में मानव मशीन बनता जा रहा है और अस्वस्थ एवं तनावमय जीवन जीने के लिए मजबूर हो रहा है वैसे-वैसे शांतिपूर्ण, स्वस्थ और तनावरहित जीवन जीने के लिए पूरा विश्व तेजी से योग की ओर आकृष्ट हो रहा है ।
व्यावहारिक जीवन में पति-पत्नी, पिता- पुत्र, भाई-बहन इत्यादि बाह्य संबंध व स..
विचार ही वह बीज है, जिससे बदलाव के वृक्ष उगते हैं। देश-दुनिया में जितनी क्रांतियाँ हुई हैं, उनकी कोंपलें विचारों से ही फूटी हैं। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी के क्रांतिकारी विचारों ने समाज के हाशिए पर खड़े और विकास की परिधि से बाहर उन करोड़ों उपेक्षित बच्चों को आज दुनिया के केंद्..
आधुनिक हिन्दी कथा-जगत में अपने संवेदनशील गद्य और अमर पात्रों के लिए जानी जानेवाली कथाकार कृष्णा सोबती की प्रारम्भिक कहानियाँ इस पुस्तक में संकलित हैं। शब्दों की आत्मा से साक्षात्कार करनेवाली कृष्णा सोबती ने अपनी रचना-यात्रा के हर पड़ाव पर किसी-न-किसी सुखद विस्मय से हिन्दी-जगत को रू-ब-रू कराया है। ये..
इस पुस्तक में आजकल चल रहे बहस के मुद्दों पर लेख संकलित है। ये मुद्दे लम्बे समय से बने रहे हैं, किन्तु केन्द्र में अभी आए हैं। 2014 से पहले राजनीति पर समाज हावी रहता था, उसके बाद समाज पर राजनीति हावी हो गई है। इसका आरम्भ आपातकाल के दौरान ही हो गया था पर वर्चस्व अब बना है। जब समाज हावी था, तब समाजवाद ..