कोरोना के कारण 2020 में घोषित लॉकडाउन ने करोड़ों भारतीयों को अकल्पनीय त्रासदी का सामना करने के लिए विवश कर दिया। नगरों-महानगरों में कल-कारखानों पर ताले लटक गए; काम-धन्धे रुक गए और दर-दुकानें बन्द हो गईं। इससे मजदूर एक झटके में बेरोजगार, बेसहारा हो गए। मजबूरन उन्हें अपने गाँवों का रुख करना पड़ा। उनका य..
आपातकाल के बारे में कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इस संघर्ष में गुजरात का विशेष योगदान रहा है। प्रस्तुत पुस्तक एक ऐसे व्यक्ति द्वारा लिखी गई है जिसने गुजरात से बाहर यानी यूरोप, अमेरिका आदि में बैठकर नहीं बल्कि गुजरात में रहकर, इस संघर्ष का एक सिपाही बनकर जो कुछ सहा, भोगा और देखा। ऐसे ही व्यक्ति की..
‘मुरदाघर’ जैसे सशक्त उपन्यास के लेखक जगदम्बाप्रसाद दीक्षित का एक उल्लेखनीय उपन्यास है—‘अकाल’। ‘अकाल’ एक ऐसा मार्मिक उपन्यास है जिसमें समाज और व्यक्ति के बीच रिश्तों को मार्मिक पुट दिया गया है। आज का भारतीय गाँव शुद्ध अर्थों में गाँव नहीं रहा है। आज वह महानगरों का आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विद्..
केदारनाथ सिंह की कविताओं का संग्रह ‘अकाल में सारस’ आज की हिन्दी कविता को एक सर्वथा नया मोड़ देने की सार्थक कोशिश है। इस संग्रह के साथ यह उम्मीद बनी रहेगी कि कविता अपनी जड़ों में ही फैलती है और उसी से प्राप्त ऊर्जा के बल पर वह अपने समय, परिवेश, आदमी के संघर्ष, प्रकृति में धडक़ती हुई जिजीविषा को उपयुक..
स्व. प्रो. राधाकुमुद मुखर्जी की गणना देश के शीर्षस्थ इतिहासकारों में होती है और परम्परागत दृष्टि से इतिहास लिखनेवालों में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान है।प्रस्तुत पुस्तक में प्रो. मुखर्जी के वे भाषण हैं, जो उन्होंने सर विलियम मेयर भाषणमाला के अन्तर्गत मद्रास विश्वविद्यालय में दिए थे। इन निबन्धों में भा..
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन को विशिष्ट महत्व प्रदान किए जाने का मुख्य कारण यह है कि उन्होंने अर्थशास्त्र को मनुष्य के कल्याण का साधन बनाने के उद्देश्य से जोड़ा और इसके विविध पैमाने भी तैयार किए। इससे पूर्व अर्थशास्त्र को मात्र धन-संपदा का अध्ययन माना जाता था, उन्होंने उ..
इस कृति में आधुनिक हिन्दी साहित्य की अन्यान्य विधाओं (कविता, नाटक, उपन्यास, कहानी, निबन्ध, आलोचना, पत्रकारिता, जीवनी, आत्मकथा, रिपोर्ताज, रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रा-वृत्तान्त, डायरी आदि) के उद्विकास का संक्षिप्त किन्तु प्रामाणिक लेखा-जोखा है। हिन्दी गद्य-पद्य की इन आधुनिक विधाओं के उत्स और विकास मे..
काल को किसी सरल व्याख्या में समेटना लगभग असम्भव है। प्रकृति की जिन शक्तियों ने मानव-मन को सबसे ज़्यादा आतंकित-विचलित किया है, काल अर्थात् समय उनमें सबसे प्रबल और रहस्यमय है। इसी काल को समझने के क्रम में कैलेंडरों, पंचांगों, तिथियों आदि का विकास हुआ। कल्पों, युगों, सदियों, वर्षों, महीनों, दिनों और घ..