इतिहास का प्रत्यक्ष उत्थान-पतन राष्ट्र की गति है। कभी यह पिछड़ जाता है, कभी उपयुक्त नेता का नेतृत्व पाकर प्रगति करता है। लेखक ने अपने मोटे-मोटे उपन्यासों में इतिहास के भाग्यविधाता की अमोघ लीला का ही वर्णन किया है। उन्होंने यही दिखाया है कि नाव जब तक पानी के ऊपर है, विपदा नहीं है। नाव के ऊपर पानी आने..
जब श्रीकृष्ण सरलजी ने नेताजी सुभाष पर लेखन प्रारंभ किया तो स्वयं उन देशों का भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाइयाँ लड़ी । उन्होंने उन पर्वतों की चोटियों को चूमा जहाँ आजाद हिंद फौज के वीरों ने भारतीय तिरंगा ध्वज फहराया है । उन जंगलों की खाक उन्होंने छानी, जिन्हें हमारे देशभक्तों ने रौंदा..
हिन्दी के सुपरिचित लेखक लक्ष्मीसागर वाष्र्णेय की इस पुस्तक में द्वितीय महायुद्ध के बाद और भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद लगभग 1950 से आज तक की अवधि में रचित हिन्दी साहित्य के विविध पहलुओं पर समीक्षात्मक लेखा-जोखा प्रस्तुत हुआ है। देश के विकास और प्रगति में इस साहित्य का कहाँ तक योगदान रहा है तथा रा..