प्राय: यह देखा जाता है कि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में राजनीति के बाद फिल्मों से संबंधित पाठ्य-सामग्री, चित्रों आदि को ही सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है। व्यवहार में तो यह देखने को मिलता है कि सात वर्ष के बालक से लेकर सत्तर वर्ष के वृद्ध तक—सभी लोग फिल्मों के प्रति अधिक रुचि लेते हैं। इसके बावजूद उन्हे..
बहुत लोग होंगे जिनके पास एक अच्छी कहानी होगी, अगर नहीं तो कोई आइडिया होगा ही, लेकिन वह एक अच्छी फ़िल्म की पटकथा कैसे बने, यह जानना थोड़ा तकनीकी हुनर की माँग करता है। यह किताब आपको यही हुनर सिखाएगी।लेखक ख़ुद एक अच्छे पटकथाकार हैं, जिनकी लिखी फ़िल्में दर्शक देख चुके हैं। इस किताब में इन्होंने पटकथा-ल..
भारत विश्व के ऐसे देशों की श्रेणी में शुमार किया जाता है जहाँ सबसे अधिक फ़िल्मों का निर्माण होता है, लेकिन विडम्बना यह है कि फ़िल्म निर्देशन पर अब तक हिन्दी में कोई किताब नहीं थी। कुलदीप सिन्हा ने 'फ़िल्म निर्देशन' पुस्तक लिखकर यह कमी पूरी कर दी है, इसलिए उनकी यह पहल ऐतिहासिक है।श्री सिन्हा पुणे फ..
Generally, it is observed that after politics, subject matter and photographs related to films occupy maximum space in newspapers, magazines* and journals. It is seen, in practice, that almost everyone has an interest in films; he or she may be a seven-year-old school-going child or a seventy-year-o..
भारतीय सिने-जगत के जनक धुंडीराज गोविन्द फाल्के उर्फ़ दादासाहेब फाल्के के जीवन व योगदान को यथोचित रेखांकित करनेवाला ‘फ़िल्म उद्योगी दादासाहेब फाल्के’ एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है। अनेक प्रक्रम, विक्रम और अपार चुनौतियों को पार करते हुए दादा साहब ने अपने जीवन के अन्त तक भारतीय सिनेमा की बुनियाद और उसके ..
यह पुस्तक लेखक की फिल्मी दुनिया, यानी मुंबई में रहकर जीना सीखने का लिखित दस्तावेज है, जिनका कई फिल्मी हस्तियों से संपर्क रहा। फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे के साथ-साथ फिल्म आर्कइव, फिल्म से जुड़ी लाइब्रेरी, फिल्म लेखक, गीतकार, म्यूजिक डायरेक्टर, एक्टर, चरित्र अभिनेता, कैमरामैन, स्क्रिप्ट रा..
यह किताब सिनेमा के एक सहयोगी पेशेवर के रूप में फ़िल्म-लेखक के कामकाज का सिलसिलेवार वृत्तान्त प्रस्तुत करती है। फ़िल्म का अपना तौर-तरीक़ा है, जिसके दायरे में रहकर ही फ़िल्म-लेखक को काम करना पड़ता है। इसलिए एक हद तक अपनी स्वायत भूमिका रखने के बावजूद उसको अपना काम करते हुए निर्माता, निर्देशक, अभिनेत..
Management Lessons from the Films of Big B is a book born out of sheer love and passion for the movies of the great legend—Amitabh Bachchan; and its journey began with the repeated watching of the films of Amitabh Bachchan, especially Deewar and the meeting-room scene where Vijay—the hero plung..
‘सत्यजित राय : पथेर पांचाली और फ़िल्म जगत्’ यह पुस्तक ‘पथेर पांचाली’ जैसी कालजयी फ़िल्म के बहाने इस महान सिने-निर्देशक के कला-कर्म को जानने-समझने की सच्ची और गहरी कोशिश से पैदा हुई एक ऐसी कृति है, जिसे हिन्दी में एक नई शुरुआत की तरह देखा जा सकता है। इस पुस्तक को पढ़ना सिर्फ़ एक वैचारिक फ़िल्मी दस्ता..