‘‘मैं वीनज़ मार्ग पर निकल गया, उसी रात की तरह। यह रास्ता अभी भी अंधकारमय था। शायद वहाँ पर बिजली में कोई गड़बड़ी थी। मुझे उस बार या रेस्तरां की तख़्ती चमकती हुई नज़र आ रही थी, लेकिन रोशनी इतनी कमज़ोर थी कि सड़क के मोड़ से एकदम पहले खड़ी एक गाड़ी का सांवला सा ढेर, मुश्किल से ज़ाहिर हो रहा था। जब मैं व..