भारत में भाषाओं , प्रजातियों , धर्मों , सांस्कृतिक परम्पराओं एवं भौगोलिक स्थितियों का असाधारण एवं अद्वितीय वैविध्य विद्यमान हैं । विश्व के इस सातवें विशालतम देश को पर्वत तथा समुद्र शेष एशिया से अलग करते हैं जिससे इसकी अपनी अलग पहचान है , अविरल एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है ; राष्ट्र की अखण्डित मान..
राष्ट्रीय एकता का प्रश्न स्वतंत्रता के बाद भी हमारे सामने ज्वलन्त रूप में था और आज भी वैसा ही बना हुआ है। ऐसे में राष्ट्रकवि दिनकर की यह पुस्तक हमारे लिए एक मार्गदशर्क की भूमिका निभा सकती है।ग़ौरतलब है कि वर्ण, धर्म, रंगभेद, वर्ग आदि के आधार पर युगों से चली आ रही जो असमानता और बिखराव आज पूँजीवादी ..
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एवं स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का भारत में त्वरित विलय कराने, स्वाधीन देश में उपयुक्त प्रशासनिक व्यवस्था बनाने और कई कठिनाइयों से जूझते हुए देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कराने में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का योगदान अप्रतिम रहा है। वे लाखों लोगों..
सरदार वल्लभभाई पटेल को पहले से जानता था। जब वह भारतीय संविधान परिषद् के सदस्य थे तो मेरा उनसे परिचय बढ़ गया। वहाँ दिए हुए उनके भाषणों को मुझे अच्छी तरह स्मरण है। उनकी वाणी राष्ट्र की आवाज होती थी, जिसके संबंध में न तो कोई अशुद्धि कर सकता था और न भ्रांति हो सकती थी।
जब वह बंबई के बिड़ला भवन में स्व..
‘हमारी सांस्कृतिक एकता' भाषणों और लेखों का संग्रह है। प्रायः सबका विषय भाषा और संस्कृति है। पुस्तक अपने विवेचन-विश्लेषण में दिनकर जी के गहन चिन्तन का द्योतक है। राष्ट्रकवि ने अपनी इस पुस्तक में भारत की विविधता में एकता पर विचार करते हुए भाषा और संस्कृति की भूमिका को वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक क..
– ‘जातियों का सांस्कृतिक विनाश तब होता है जब वे अपनी परम्पराओं को भूलकर दूसरों की परम्पराओं का अनुकरण करने लगती हैं। इस सांस्कृतिक दासता का भयानक रूप वह होता है, जब कोई जाति अपनी भाषा को छोड़कर दूसरों की भाषा अपना लेती है। फल यह होता है कि वह जाति अपना व्यक्तित्व खो बैठती है। उसके स्वाभिमान का विनाश..
‘साहित्य और भारतीय एकता’ (निट् इंडिया थ्रू लिटरेचर) एक वृहत् आयोजन है। यह पुस्तक इस आयोजन का प्रथम खंड है, जिसे तमिल और अंग्रेज़ी के बाद अब हिन्दी में अनूदित किया गया है।‘साहित्य और भारतीय एकता’ के माध्यम से लेखिका शिवशंकरी भारतीय संस्कृति तथा साहित्य के आधार पर देशवासियों को आपस में जोड़ना चाहती ह..