‘देवदास’ शरतचन्द्र का पहला उपन्यास है। लिखे जाने के सोलह साल बाद तक यह अप्रकाशित रहा। शरत स्वयं इसके प्रकाशन के लिए उत्साही नहीं थे, लेकिन 1917 ई. में इसके छपने के साथ ही व्यापक रूप से इसकी चर्चा शुरू हो गई थी। विभिन्न भारतीय भाषाओं में इसके अनेक अनुवाद हुए। अनेक भारतीय भाषाओं में इस पर फ़िल्में बनी..
देवदास, पारो और चंद्रमुखी -ये तीनो किरदार प्रेम के ऐसे प्रतीक बन गये है की उनकी गिनती लैला -मजनू , शीरी फरहाद , हीर -राँझा के साथ होने लगी . बीसवी सदी के बंगाल के जमीदार समाज की पृष्टभूमि में स्थित यह एक मार्मिक प्रेमगाथा है . इसमें देवदास को अपने बचपन के साथी पारो से अटूट प्यार है लेकिन यह प्यार पर..