Since time immemorial, India was referred to as “a golden bird” and Bihar as “a seat of learning” where great universities like Nalanda and Takhshila and noted scholars like Chanakya dispersed knowledge among the people. The blessed land of Bihar has been witness to several momentous events owing to..
बिहार राज्य प्राकृतिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक एवं बौद्धिक संपन्नता के साथ-साथ भौगोलिक संरचना की सघन विविधता का अद्भुत उदाहरण है। गौरवशाली अतीत एवं प्रेरणादायक परंपराओं से ओत-प्रोत बिहार की धरती को महान् विभूतियों की जन्मस्थली एवं कर्मस्थली होने का गौरव प्राप्त है।
प्रस्तुत पुस्तक बिहार के विषय में स..
पुस्तक के बारे में:-
प्रस्तुत पुस्तक उन सभी विद्यार्थियों के लिए तैयार की गई है, जो बिहार राज्य की विभिन्न राज्य स्तरीय परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित और 2022 बैच के आईएएस डॉ. मनीष रंजन द्वारा संपादित ‘बिहार सामान्य ज्ञान 2022’ में बिहार राज्य से संबंधित संपूर्ण सामा..
बिहार राज्य प्राकृतिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक एवं बौद्धिक संपन्नता के साथ-साथ भौगोलिक संरचना की सघन विविधता का अद्भुत उदाहरण है। गौरवशाली अतीत एवं प्रेरणादायक परंपराओं से ओत-प्रोत बिहार की धरती को महान् विभूतियों की जन्मस्थली एवं कर्मस्थली होने का गौरव प्राप्त है।
प्रस्तुत पुस्तक बिहार के विषय में सं..
एक सफ़रनामा, जिसमें एक नौजवान अपने गांव से चल कर देश की राजधानी तक पहुंचता है और गरीबी का जीवन जीते हुए वह प्रतिरोध की ताकत बन जाता है। फरवरी 2016 में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार राजद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार हुए, जेल गए और पटियाला हाउस कोर्ट में वकीलों ने उन्हें पीटा। इस संकट से वे एक ..
बिहार अति प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक, सामाजिक, साहित्यिक, धार्मिक एवं राजनीतिक पुनर्जागरण के पन का पावन स्थल रहा है। सदियों से भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए बिहार की अपनी अलग पहचान रही है। आधुनिक बिहार के निर्माण को एक सौ वर्ष पूरे हो चुके हैं। इन सौ वर्ष़ों में बिहार की धरती प..
प्रस्तुत पुस्तक में ‘बिहारी सतसई’ का मूल्यांकन करते समय तत्कालीन सामन्तीय परिवेश को बराबर दृष्टि में रखा गया है। बिहारी दरबार में रहते थे, पर उनको दरबारी नहीं कहा जा सकता। उनमें चाटु की प्रवृत्ति नहीं थी, वे वेश-भूषा, रहन-सहन, आन-बान आदि में किसी सामन्त-सरदार से कम न थे, उनका दृष्टिकोण पूर्णतः सामन्..
मज़दूरों का विस्थापन न तो अकेले भारत में हो रहा है, न आज पहली बार। सभ्यता के प्रारम्भ से ही कामगारों-व्यापारियों का आवागमन चलता रहा है, लेकिन आज भूमंडलीकरण के दौर में भारत में मज़दूरों को प्रवासी बनानेवाली स्थितियाँ और वजहें बिलकुल अलग क़िस्म की हैं। उनका स्वरूप इस क़दर अलग है कि उनसे एक नए घटनाक्र..
प्रस्तुत पुस्तक बिहारी-रत्नाकर में विशेषत: इस बात का ध्यान रखा गया है कि पाठकों की समझ में शब्दार्थ तथा भावार्थ भली-भाँति आ जाएँ। दोहे के शब्दों के पारस्परिक व्याकरणिक सम्बन्ध तथा कारक इत्यादि को स्पष्ट रूप से प्रकट करने का भी यथासम्भव प्रयत्न किया गया है। प्रत्येक दोहे के पश्चात् उसके कठिन शब्दों क..
BTET
बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा पेपर-II
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